श्री ज्ञान विलास | Shri Gyan Vilas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
484
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री ज्ञानसुन्दरजी - Shree Gyansundarji
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)११
जीवा खमतु मे । मित्तीमे सब्व भूएसु, बेर मज्ञ न केणइ ॥98॥
एव महँ आलोइअ | निंदिआ गरहिआ दु्गंछिआ सम्म॑॥ तिथि-
हेण पडिकंतो । वंदामिजिणे चउच्पीसं । ४० ॥ दोय
बन्दुना दना। अध्युदहिआओं खमायके । दा बन्दना |
॥ अथ आयरिञअ उवश्ञाएं ॥
आयरिअ उबवकाए | सीसे साहस्मिए. छुल गणेश ॥
जे मे केह कसाया । सब्पे तिविहेश खामेमि ॥ १ ॥ सब्पस्स
समण संघस्स | भमगवओ अंजाले करिअ सीसे ॥ सब्ब॑ समा-
चहत्ता | समामि सब्मस्स अहयंपि ॥ २॥ सथ्यस्स जीव रा-
सिस्स। भावओ घम्म निहिस मिअचित्तो ॥ सर्व्य समापइत्ता स-
मामि सब्बस्स अहयंपि ॥३॥ बादमें करेमिमंते० इच्छामिठामि ०
तस्सोत्तरी० अन्नत्थ० दो लागस्सका काउस्सग्ग० एक लोगस्स
अगठ, सब्बलोए अरिहंत चेइआण यावत् एक ले।गस्सफा काउ-
स्सग्ग० | पुरुपर० यावत् एक लोगस्सका काउ० । |िद्धाण
बुछाण के बादमें--श्ुतदेवताका एक नवकारका काउस्सग्ग
करके स्तुति--
बाग्देवी परदेपी भूता, पुस्तीका पत्र लिख्यतु ।
आपो व्या वि उजेस्तु, पुस्तीका पद्म लिख्यतु ॥
बादम चेरोव्यादेवीका एक नवकारफा काउ० स्तुति ।
सामानशारित पुत्राभो, वेरोव्यारमयेवतु ।
शान्तों राजिजाति य ग्रह | पैरोव्यारमयेवतु. ॥ १ ॥
User Reviews
No Reviews | Add Yours...