भू - कवच | Bhu - Kavach
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दूसरा परिच्छेद १
दिमालय पवेत सखार में सयसे ऊँचा पर्वत है। इस प्ेत
'पर समुद्र की सतह से १८००० फीट की 5चाई पर कुछ चहातें
मिल्ली हैं, जिनमे शस-सीपियाँ आदि समुद्रवासी जीवों के
अवशेष पाए गए हैं। इससे यह सिद्द होता द कि अति
प्राचीन काक् मे यह परत समुद्रनार्भ में था। परतु बाद मे
भू गर्भ की 'अग्विरूपी शक्ति ने इसे एकदम इतना ऊँचा
चठा दिया ।
घक्रस्तर--जल-पन्य चट्टानों मे स्तरों की रेपाएँ साफ़ नज्ञर
आती हें। ये स्तर श्रक्तर ज्षितिज-समानातर होते हें । किंतु
कहीं-कहीं ये स्वर निछें पाए जाते हैं । अग्नि रूपी शक्ति ने इन्दे
ऊँचा उठा दिया है। जहाँ स्तरीभूत चट्चाने अपर उठ आई हैं,
बहाँ दे बक्र या तिर्लो नजर आती हें। पर्वत श्रेणियों से
चक्रस्तर बहुत पाए जाते हैं। नीचे एक वक्रस्तर का चिए
दिया जाता है ।
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