धम्मपदम् | Dhammpadam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)' शोषण अप्पमादवर्गो [६
सब्यततर्स च पधम्मजीविनो
अप्पमत्तस्स यसोभिवडढति ॥७॥
उद्योगी, जागरूक, पवित्र-कर्म करने वाले, सोच समझ कर कास
करनेवाले, संयमी, धर्मानुतार नीविका चलानेवाले, अ्रप्रमादी मनुष्य
' के यश की बद्धि होती है ।
(श्प )
उट्टानेन'प्परमादेन सब्शमेन देन च।
दीप कय्रिराथ मेधावी य॑ ओघो नाभिकीरति || ५ ॥
बुद्धिमान मनुष्य उधोग, श्रग्ममाद, संयम और दम द्वारा ऐसा हीप
बनावे, जिसे बाढ़ डुबा न सके ।
( २६
परसादसनुयुव्जन्ति बाला दुम्मेधिनो जना।
अप्पमादच मेधावी धर सेट्र शव रक्खति ॥ ६॥
मूर्ख, दुबृद्धि प्रभाद करते हैं| बुद्धिमान् पुरुष श्रेष्ठथन की तरह
अप्रमाद की रक्षा करते हैं |
(२७ )
. मा पमादमलुयुब्जेधथ मा कामरतिसन्थवं।
अप्पमत्तो हि कायनतो पप्पोति विपुल॑ सुख ॥७॥
प्रमाद मत करो | कास-सोगों में मत्त फैसो प्रमाद-रहित हो ध्यान
करने से विपुल सुख को प्राप्ति होती है|
( २८ )
पसाद अप्पमादेन यदा लुदति परण्डितो।
पव्ञापासादमारुष्ह असोको सोकिनिं पजुं।
. . 'पब्ब॑तट्टों व भुस्मट्ट धीरों . बाले. . श्रवेक्खति ॥| ८॥|
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