कठोपनिषद् | Kathopanishad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अवेकेथन
उपनिषदे भारतीय वाडःमय के महा रत्न हैं। सारे वेदिक वाडुमय का
ज्ञानकाण्ड हैं ये उपनिषदे | सर्वोच्च आध्यात्मिक ज्ञान का प्राकदय इनमें हुआ
है । इसीसे ये वेदान्त--वेद अर्थात् ज्ञान का अन्त अर्थात् पराकाष्ठा--कही जाती
है। अध्यात्मविद्या विद्यानामु कह कर भगवान् श्रीकृष्ण ने भी आत्मज्ञाच को
सर्वोच्च ज्ञान कहा है। ऐसे ज्ञान से विमुख भारतीय सच्चा भारतीय नहीं कहा
जा सकता । इसी कारण इन उपनिषदों का अध्ययवाध्यापन निताश्त स्पृहवणोय है ।
विश्वविद्यालयों की स्नातक एवं परास्तातक परीक्षाओं के पाठ्यक्रम में तो इन्हें ध्यान
मिलना ही चाहिये, उससे पर्व की हाईस्कूल, इण्टर परीक्षाओं के पाठ्यक्रम में भी
इनके सरल एवं उपदेशप्रद मन्त्रो का सद्धूलत निर्धारित हो तो बहुत अच्छा । इससे
चरित्र-गठन में सहायता मिलेगी उच्हें ।
इसी दृष्टि से अनेक भारतीय विश्वविद्यालयों ने अपनी स्नातक कक्षाओं के
पाठ्यक्रम में कोई न कोई उपनिषद् या उसका कुछ अंश अवश्य ही रखा है।
कठोपनिषद् स्नातक कक्षाओं के लिये सम्भवतः सर्वाधिक उपयुक्त है अपनी सरल-
सुबोध आख्यानात्मक संवादपरक शैली के कारण । फिर भी यत्र-तत्र वेंदिक-भाषा-
सम्बन्धी दुरूहता इसमें भी मिलती ही है, विशेषतः शब्दों, और भावों में । इसे दूर
करते के विचार से कई हिन्दी अनुवाद हैं जिनमें गीता प्रेस का सर्वोत्तम है । परन्तु
उसमें छाब्दों की व्युत्पत्ति इत्यादि के न होने से छात्र मूल के शब्दों से अनुवाद का
ठीक-ठीक' सम्बन्ध स्थापित नहीं कर पाते । फलतः वे अनुवाद को रट लेते है ।
प्रस्तुत संस्करण इसी कठिनाई को दूर करने के विचार से अनुवाद, व्याख्या
एवं टिप्पणी के साथ प्रकाशित किया जा रहा है । आशा है, यह अपने उह्ंश्य में
सफल होगा ।
शारदीयनवरात्र
वि० सूँ० २०४०
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