जातक द्वितीय खण्ड | Jatak Dutiya Khand

Jatak Dutiya Khand by भदन्त आनंद कोसल्यानन- Bhadant Aanand koslyanan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४२. १४३. 9४४ १४५ २४६. १४७ १४८. २१९. [ ११ 1] विषय सिगाल जातक थ [ गीदड़ों को मारने की इच्छा से एक धत श्रादमी ने मर्द का स्वांग किया । | विरोचन जातक | गीदड़ ने शेर की नकल करके पराक्रम दिखाना चाहा । हाथी ने उसे पाँव से रोंद दिया उस पर लीद कर दी । |] नडुट्ट जातक द [ ब्राह्मण झग्नि-भगवान को गो-मांस चढ़ाना चाहता था। चोर ही उस बेल को मार कर खा गए । ब्राह्मण बोला--हे अग्नि भगवान्‌ झाप अपने बैल की रक्षा भी नहीं कर सके। अब यह पूँछ ही ग्रहण करें । ] राघ जातक . ..... .. [ पोट्टपाद श्र राघ नाम के दो तोते ब्राह्मणी का अनाचार प्रकट करने के बाद उस घर में नहीं रहे । ] काक जातक भ-स [1 कौवी को समृद्र बहा ले गया । कौवों ने क्रोघित हो उलीच-उलीच कर समुद्र खाली करना चाहा । ] पृप्फरत्त जातक [ स्त्री ने केसर के रंग का वस्त्र पहन उत्सव मनाने की जिद की । स्वामी को चोरी करनी पड़ी । राजाज्ञा से उसका बध हुमा । |] सिगाल जातक हक [ मांस-लोभी सियार हाथी के गृदा मार्ग से उसके पेट में प्रविष्ट हो वहां कद हो गया । | एकपण्ण जातक... . [ बोधिसत्त्व ने नीम के पौदे के दो पत्तों की कड़वाहट चखा कर राजकुमार का दुष्ट स्वभाव दूर किया । | १०८ . रै१० रैर् रै रु हैरेर रूस - रैरेद




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