मैना सुन्दरी नाटक | Maina Sundari Natak

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Maina Sundari Natak by न्यामत सिंह - Nyamat Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1 ) माव[ा-(छती से लगाकर ) प्रसन्न तो है बेटी सुर सुम्दरी मुर ०-माता जी आपकी कछूपा है ॥ सून[|०--जयजिनेन्द्र । पिता जी आपके महा आनन्द॒कारी चणोरबत्रिन्द को वारम्वार प्रणाम है ॥ राजा--आबवो बेटी मैनासुन्दरी मेरी प्यारी राजदुलारी। आज तुझको देख मर चितकों हुवाहे आनन्द भारी ( मैना सुन्दर को छात्ती से लगा कर प्यार करना ओर कुरसी पर वितना ओर रानी जी । सिघासन पर बिठाना ) सैना*हेपिताजी श्रीमती अरजिकाजी व श्रीम॒नी महाराज जी की कृपासे में श्री जेन धमकी समस्त विद्या पढ़कर आज आपके चर्णा में आई हूं॥ भोर श्री जिनेनस्द्र भगवान का प्रजन करके यह ( कथरी सामने करके ) गदोदक आपके लिये छाई हूँ लीजिये मस्तक पर चढाइये ॥ राजा--(गेदोदक की क्येरी लेकर राजा और रानी ने गंदोदक मस्तक पर चढ़ाया ) बेटी मेनासुन्दरी इस गंदीदक की शाख्रों में क्या माहिमा हे वणन करो मैना*--बहुत्त अच्छा महाराज छुनिये ॥ श्र मैनास+दरी का गदोंदऊ को महिमा चर्णान कप्ना 1 चचाल-( नाक ) मद्दाराज़ गाय अप हम 1 | महाराज लाई हूं में । जलन्हबन श्रीजिनवर का ॥ टेक ॥




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