मैना सुन्दरी नाटक | Maina Sundari Natak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
274
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)1 )
माव[ा-(छती से लगाकर ) प्रसन्न तो है बेटी सुर सुम्दरी
मुर ०-माता जी आपकी कछूपा है ॥
सून[|०--जयजिनेन्द्र । पिता जी आपके महा आनन्द॒कारी
चणोरबत्रिन्द को वारम्वार प्रणाम है ॥
राजा--आबवो बेटी मैनासुन्दरी मेरी प्यारी राजदुलारी।
आज तुझको देख मर चितकों हुवाहे आनन्द भारी
( मैना सुन्दर को छात्ती से लगा कर प्यार करना
ओर कुरसी पर वितना ओर रानी जी ।
सिघासन पर बिठाना )
सैना*हेपिताजी श्रीमती अरजिकाजी व श्रीम॒नी महाराज
जी की कृपासे में श्री जेन धमकी समस्त विद्या
पढ़कर आज आपके चर्णा में आई हूं॥ भोर श्री
जिनेनस्द्र भगवान का प्रजन करके यह ( कथरी
सामने करके ) गदोदक आपके लिये छाई हूँ
लीजिये मस्तक पर चढाइये ॥
राजा--(गेदोदक की क्येरी लेकर राजा और रानी ने
गंदोदक मस्तक पर चढ़ाया ) बेटी मेनासुन्दरी
इस गंदीदक की शाख्रों में क्या माहिमा हे वणन करो
मैना*--बहुत्त अच्छा महाराज छुनिये ॥
श्र
मैनास+दरी का गदोंदऊ को महिमा चर्णान कप्ना 1
चचाल-( नाक ) मद्दाराज़ गाय अप हम 1
| महाराज लाई हूं में । जलन्हबन श्रीजिनवर का ॥ टेक ॥
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