आवाज तेरी है | Awaz Teri Hai

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Awaz Teri Hai by राजेन्द्र यादव - Rajendra Yadav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उन चे <स दुगरश् बट नतिन्म्माती जाल ठटेगा पुम्हारे स्पप्न ही रानी जहाँ पर ब्ेठ बैठी है 1! वहीं वह तम्पार है, जो गर रही, बेकार ! नहीं परँचा हाय, जो झपटे, उठारे काट डाले शाद्य दाग के --+ तेरे भाग्य की सीता हत्य से था हमें! पी हे हट से के रक्तिम माँग भर ले ! यद्ी सूसा जा रा है अमृत घट ! जीर ये पथर यो योयन डगर पर तरसते-से ताकते है ये युर्गा से देखते ह यह उसकी । है पया छा पुत्र फीई ला मर जो 1 तू इन्हे दे प्राण, हर साथ, चलदे, नहीँ अन्त में सेने)ये आस पकरद्वीप' में 'पप्मायती' बैठो हुई है । हद, छू पा में थी बह # पब्ेपा-यह एप बढ़ा खापय बह, पुर अपेग पैन पी हुशस्‍्मे नर सूजते ये ४ ? ५ हर जन पं समर, गायाए | रद गेताओी एुलरे जि विन्जी पतो भ 1 आज लेप है डर




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