मीरा लोकतात्त्विक अध्ययन | Meera Lokatattvik Adhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
200
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)2 मीरा पारिवारिक परिवेश
किसी व्यक्तित्व के निर्माण मे उसके जम स्थान, वातावरण और बाल्यवालीन
परिवेश का विधायक महत्व होता है। जिन सस्वारो का निर्माण अबीध तथा
बल्यावस्था मे होता है, वे कई बार अनमतीय गौर अपरिवतनशील भी होते हैं।
उनकी अवचेतन प्रभाव कारिता को निरूपित और निर्दिष्ट कर पाना चाहे दुष्कर
बाय हो, कितु यह मनोसामाजिक तथ्य विवाद ग्रस्त नही रहता 1 इस तथ्य को
ध्यान में रखबर भीरा के व्यक्तित्व और भवित वैभव के लिए हमे उनकी पीहर
और ससुराल की पारिवारिक स्थितियों का समावय करना चाहिए ।
(1) भेडता और सेवाड का समकालोन परिवेश
जैसा कि पहले कह चुके हैं मेडता की स्थापना के समय बह इलाका काफी
समय से वीरान पडा हुआ, गैर आबाद क्षेत्र था। वरविह और दुदा ने नागौर,
अजमेर तथा जोधपुर के कई भागो से जाटो और कई साखो के राजपूतो को ला-
लाकर वहाँ बसाया तथा उसे आवाद कराया 19(39 41) । अधिकतर प्रवात्ती
नागौर के थे। वहाँ के निवासियों में जाट, राजपूत, भोसवात, माहेसरी, अगर रवाल,
खडेलवाल महाजन, भोजक, खत्री, भाट, निरतकारी जो, कि नाचने गाने वालो
में से थे, ब्राह्मणो मे पोकरण, राजगुरु, गूजरगोड, पारीटव, दाहिमा, सनावड़,
सखवाल उपाध्याय, श्रीमाली, गुजराती, गोड, सिपाही थ्रेणी मे पठान, तुर्क,
तरकसबद, तोपची, देसवाली, काझी, और उनके अलावा 52 भय जातियो के
लोगो को सम्मिलित करके बसाया गया था 19 (83 86) । जिन जाटो को पहले
लाकर बसाया गया था । उनके साथ मेडतियां का घरोवापन था, बल्कि सभी नव-
निवासियों के साथ उनका सम्बाध्च राजा भ्रजा का न होकर सहभागी और सह-
गोगियों का था 19(39) । इस तरह से नये राज्य की स्थापना के कारण स्थान
नाम से दूदा के वशज मेडतिये कहलाए । निश्चित है कि नये राज्य की स्थापता के
साथ शाज परिवार को लोक रुचि का और लोक समूह को राज रचि का परस्पर
मान रखना पडता था। नई जमीन, नये राज्य मोर सुविधाओं के पदा होत पर
घाभिक मतो और साधु सतों बी जमावट भी एक स्वाभाविक प्रक्रिया थी। राव
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