रम्य रास | Ramya Raas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)झि ससार कठाक्ष मात्र से
विम्ुग्ध होता जब एक बार ही ।
कहो कहें क्या कितनी श्रनूप थी
ललामता मजुलता रसालता ॥१३१॥
कक
आकपंण
निकुंज कूजे, हँसने लगी धरा
समागमेहासमय भानुजा . हुईं।
अनन्त श्राकर्पण-घाम क्यों न हों
कहे गये कर्पण से सुकृष्ण जो ॥१श॥
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