निवेदन के आँसू | Nivedan Ke Aansu

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Nivedan Ke Aansu by शम्भूदयाल सक्सेना - Shambhudayal Saxena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्र झासुओ्ों से गीले पथ पर चलकर आते का श्राग्रह वैसे बहू ?ै मेरे हृदयमदिर वे देवता ! तुम तव तव अपने आसा पर ही विराजमान रहो जब तव मैं सासो वा स्वर्ण रथ तुम्हे ताने के लिए न भेज दू 1 निनेदन के भाँसू १७




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