शरत् - साहित्य शुभदा | Sarat-sahity Shubhda

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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झुमदा ३१ पमराने अपने आँसू पोहकर कद्ा--ऊहें छोड़ तो दौगिएगा न #इष्छा हो न थी। बह देठा बदबख्स हे, ठससे रसे दण्ड मिथ्ना ही रुषित था । फिर मौ ठुम्दारं लपाससे छोड़ दूँगा । ” अम्दाडी भौंकयसे छाइन-मरदोंक्री की रूम गई। एपेदकेए इडको बह ज्राह्मण कम्पा होडर मी मैं छोड़कर व्याणरौजोंद देनेड़ा ताइत नहीं कर सकी | मन शी मन उनको सेकप्री पन्कभाइ देकर, ईशरफ्रे झरभारमे उनका हजारों तरइका मंगफ मनाकर बह बातेके दिए. उठ कड़ी ईुई। माघान बने किर उठाकर कहा - आज ही घर बासोगी ! शर्ते गदन दिद्घकर क_्षनागा कि आज ही बागगी। मंगरान डाबूते पृष्ठ --स॒ुम्दारे साथ भौर प्ेई भारमी है! ( क्र नहीं ॥ कु ५ बाई नहीं! वो इतनी पक्के अफ्रेश्य न बाओ। एक भारमी साथ हे बाभा।? प्रमद्ा बह भी भर्तगर करके अेडी ही ठठ बैगछके मौतरसे परको छोटी । अब उसने परम प्रकेश किया, ठत तमय मोर हो गा था| हूसना पहछे ही डुठषर परे: काम धब अस्नेड़ी वेश! कर रहौ पौ। यीठे दच्मोर्म मात देखकर झसने कदा--#9 इतम तद़के सदा भाई ह गुमदा (हों ! कुकर मीतर अत्ती गई। ४ रास्मति भौर दृधामजि नाम न रुषकर छुमदामे भो दोनों बेटिपोडे नाम रहना भौर एप्ता रखे ये, इससे ननद रशमागेके सनभे बड़ा सन्‍्ताप था ! बशर वेशाभीक-मे कख्ना भर एट्ना पे शेनों नाम साठ पहर झनक% बानोंवि सत्कनी दंग ] शखना नाम दो फिर मी कुछ सठना जु नहीं ई; छेड़िय ड्ि.-- एकता मौ हाई नाम है। शद्मदि एस्नाओ बओो नहीं देख सड़ती थी, ठेवफ् आपसे अधिउ कारय उस बह नप्म था| स्पेय झुडके-एटृकिशोंसय माम देव देविजाध मामस रखते हैं क्पोंकि उ्ें पुरारममे मो मगशनडा; देशी- रेस्लाभोथ नाम हुँहते निदरूण है; डिश इन दरों झादिगो पुर्सेले इन पहठा है, देते पारधय देफ़य योदा योदा करके बह छा है ।




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