ब्रह्मा पुराण | Bhavishya Puran Saral Bhashanuvad Sahit Khand-i
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
500
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जन्म:-
20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु :-
2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत
अन्य नाम :-
श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी
आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |
गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
पत्नी :- भगवती देवी शर्मा
श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भ्1]
उसका सार यहो है कि प्रल्प विकसित व्यक्तियों का उत्थान पोराशिक, धर्मे-
फथाग्रो से ही हो सबता है, क्योकि वे उनको सुन भौर समझ सकते हैं--
साधु साथु महावाहों प्ृष्टोस्मि मानद।
शुर मे बदतो राजन् पुराण नवम महत् ॥
इद तु ब्रह्मणा प्रोक्त धर्मशात्लमनुत्तमम् ।
विदुपा.ब्राह्मरोनेदमध्येतन्य प्रयत्नत ।
शिष्येम्पदचव वक्तव्य चातुर्वेणो मय एवं हि ॥।
सुमन्त मुनि ने राजा क्षतानीक का कथन सुनकर उप्तकी प्रश्नता करते
हुये कहा -- “है महावाहो ! झापने यह प्रप्यन्त श्रेष्ठ प्रइन किया है।' इसके
लिये श्रद्व मैं तुमको नवम पुराण श्रवण कराता हू । इस सर्वश्रेष्ठ शास्त्र को
अहराजी ने अकट किया हैं और समस्त विद्वानों को उसका अयतवपूर्देकत
झ्रध्ययत मनन करके धारो वर्णों के दिपष्यो में इसका प्रचार करना
चाहिये ।*
सत्साहित्य का लक्षण यही है कि उससे जन साधारण का हितसाधन
हो सके । केवल ज्ञान सम्बन्धी ऊची-ऊंची बातें कर लेना या बुद्धि-कौशल
दिखलाकर लोगो को चमत्कृत वर देना ही प्रश्चवा की वात नहीं । आरम्म में
पुराण-साहित्य को र॑चना का उद्देश्य यही था कि सृष्टि रचना, देवी शक्तियाँ,
श्राध्या' मव क्षेत्र के जिस गूढ रहस्यों को सामान्य मनुष्यों की बुद्धि ग्रहण तही
+#र सकती, उतको कथा, दृष्टान्न्त रूपक, उपमां आदि की झोेनी में वर्णन करके
बोधगम्य बनाया जाय । इसलिए पुराणो मे समाविष्ट घटनायें सत्य, भर्ध सत्य
और कत्पना प्रसृत सभी तरह की हो सकती हैं । बाल-बुद्धि वाले व्यक्तियों के
लिए विपय को रोचक बनाने के लिये अतिशपरोक्तियो का प्रयोग करना भी
चुरासकारी के लिये सामान्य बात है ॥ मविष्य पुराण के रचयिता के लिये यह
ब्रश्मता की वात है कि उन्होने अपना उद्देय उदारता और बज्षक्त वर्ग की
ऋल्पाए भावना स चुना और उसे स्पष्ट रूप से प्रकट भो कर दिया ।
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