योगवांसेष्ठ खंड १ | Yogvanseshth Khand 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
563
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जन्म:-
20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु :-
2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत
अन्य नाम :-
श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी
आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |
गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
पत्नी :- भगवती देवी शर्मा
श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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भूमिका
्षि
८४ योग-वासिष्ठ ” भारतीय दर्शन छ्वास्त्र और अध्यात्म विद्या का
एक ऐसा ग्रन्थ है णो बहुत उच्च कोठि की प्रभावशाली रचना होने पर
भी बहुत कम प्रचलित है । इसके कई कारण हो सकते हैँ । सवप्ते पहला
तो हमको यह जान पड़ता है कि यह ग्रन्थ बहुत विशाल है। पुरानी
छपी हुई एक प्रति का बोझा सात-आठ सेर के लगभग होगा। ऐसे
महा ग्रन्य को पढ़ता--अध्ययन ओर मततन कर सकता कुछ इने-गिने
व्यक्तियों के लिये ही सम्मव हो सकता है । इसको मुख्यतया बद्व॑ त
बेदान्त सिद्धान्त का प्रतिपादक माना जाता है। उच्च विषय के शोर भी
बहुत से छोटे ग्रन्थ पाये जाते हैं, लोग उन्हीं से इस सिद्ध न््त का मर्म
समझ लेते हैं, भोर 'योगवासिष्ठ/ के अध्ययन ज॑से समय-सताध्य और श्रम-
साध्य कार्यों से बचते ही रहते हैं ।
दूसरी बात यह भी है कि जन साधारण में यह डपाल फैला
है कि “योग वासिष्ठः? वेराग्य की प्रकाण्ड प्रेरणा देने वाला ग्रन्थ है,
जिप्के पढ़ते से बहुत से व्यक्ति घर बार को त्याग देने फी बात सोचने
लगते हैँ। कोर वास्तव में कुछ सांघु वेषधारी ढोंगी व्यक्ति गाँवों और
फस्वों में “योग वासिष्ठ” के नाम पर लोगों को ऐसी ऊटपटांग बात
सुनाते भी रहते हैं जिससे लोगों की उक्त घारण ओर भी पक्कों हो
जाती है । ऐपते दो चार उदाहरणों फो सुनकर लोगों के चित्त में एक
छूंठा भ्रम उत्पन्त हो जाता है बोर वे उसे गृहुस्यथ आश्रम के लिये हानि-
फारफ समझने लगते हूँ जब कि यास््तव में उसमें कोई ऐवी बाद नहीं है ।
निस्सन््देह उसमें संसार को निस्घार ओर मायामय दराह्ठा है, १र इसमें
फोई ऐसी बात नहीं जिसे गृह॒प्य आाश्नम लथवा साँसतारिक व्यवह्ार के
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