प्राकृत - प्रबोध | Prakrit - Prabodh

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Prakrit - Prabodh  by डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री - Dr. Nemichandra Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भाग १ एक़वचचन पुत्बेण, पुरिमेण पुव्बाय, पुव्बस्स, पुरिम॒स्स पुव्बत्तो, पुरिमत्तो पुव्बस्स, पुरिम्स्स पुव्वम्मि, पुरिमम्सि श १३ बहुवचन पुच्चेहिं, पुरिमेद्दि पुव्चाणं, पुरिमाणं पुष्चाहितो, पुरिमाहितो पुव्बाणं, पुरिमाण पुग्वेठ्ु, पुरिमेतु स्ीहिंज़ सा ( 6द्‌ )--वह एकृव-चन्‌ सा; णा तंर्णं तीआ, तीएछ; ती३ई, णाए तीसे, तीइ, तीए, ताए बहुवचन तीआ, ताओ तीआ, ताओ तीहि, वाहि ताणं, तेसि वीए, वाए ती हिंतो, तासुंतो तिस्सा, तीए.. , ताणं, तेसि तीआ; त्तीए, ताए तीछु, वाघ्ु स्नीलिज् जा ( यदू )--जो एकवचन बहुवचचन ज्ञा जाओ, जीओ जं जाओ, जीओ जीआ, जीए जीहि, जाद्ि जिस्सा, जीए जेसिं, जाण जीए, जित्तो जिहिंदो, जासुंतो ज़िस्सा, जीए जेसि, जाएं जीए, जाए जीछु, जासु स्नीलिड़् एई, एआ ( एतदू )--यह ए.कवचन बहुवचन णसा एइआ, एआ, एड एहं, एओं एड्रेआ, एआइ एआए, एइए एआहि,; एडडंहि-हि एईंआ, एआऊ एइंणे, एआएं एअत्तो, एडंअ एआहिंतो, एआसुंतो एड्टेअ, एआअ एडंण, एआए-याँ एड्आ, एआभ एआएछ, एडंसु




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