बृहजातक | Brihajatak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
232
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राशिग्रेदाध्यायः १ (७)
टोका-निशांशक में एक रोशि के. ३० अंश के भाग इस प्रकार होते
हैं कि विषम राशि +। ३। ५। ७ । ९ 1१५ में पहिले,५ अंश प्यन्त
'मकुल का: जिशांश, ५ से-३० अशे पण्येन्त शरनिका निशांश, ३० से ३८
अंश पर्यन्त बृहस्पाति कां १८ से २५ अं० तक बुध. का २७ से ३०
'आं० तक शुक्र का। ओर समे राशि २. । ४ | ६1 <1 १०९ । १३२. में
७ अंश पंयेन््त महल का, ५ अं० से १२ अंश तक शनि का, १२ से
: २० तक बृहस्पति का २० से २० तक बुध का २० से ३० तक शुक्र
का निर्शाश होता है अयजि ( विषम में ) मं ० शु० बृ० बु० शु० ऐसा
' क्रम हैं। यौज ( सम) में उलट अर्थात् शु ० बु० बृ० श० मं० ऐसा
प्ज क्रम त्रिशांशकेका है ॥ हा ा
त्रिशांशचक्रम ।
(शशिक्षवन ) करके ( अलि ) वृश्चिक ( झष ) मीन इन राशियों के
' अन्त में ऋक्षसन्धि कहते हूँ। मीन मेष की संन्धि, कके सिंह की सन्धि;
और बाधक धन की सन्धि; चंक्रसंधि भी इन्हीं का नोमे है । राशि संन्धि
/जेय सल्थि, नक्षत्र सन्धि, ये तीनों प्रकार इन्हीं में आते हैं गंण्डान्त के भी
. हाँ स्थान है मेष मीन के जो को १ घडी, कक सिंह के जोड की. १
._. घड़ी, ओर वृश्चिक धन के जोड की १ घडी लग्न गण्डान्त होती है, ऐसे
हो रवती अख्िनी के जोडकी ३ घड़ी, आश्ठेषा मधा के जोड की ३ घडी;
. ज्येष्ठा. मूल के जोड की ३ घडी, ये नक्षत्र गण्डान्त कहाती है ।गेण्डान्तका
विचार ओर त्न्थों. में बहुते हैं प्रसंग वश से यहां इतनाही ' लिखा और
: / सप्तमाश, यहाँ यन्थकतों ने नहीं कहा परन्तु वह: भी: गिनना अवश्य है
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