अन्तर्राष्ट्रीय लोकयानी अनुसंधाता | Antarrashtriy Lokayani Anusandhata

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : अन्तर्राष्ट्रीय लोकयानी अनुसंधाता  - Antarrashtriy Lokayani Anusandhata

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नरेन्द्र - Narendra

Add Infomation AboutNarendra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
जाता इसलिये भी प्रादश्यक है क्पोंकि इससे मापाभभों के ब्युत्पत्ति कोर्षो कौ बता हो स्केपी । छी टर्मेर के “ए कप्परेटिश इटिमोसॉडिक्स डिक्णनरी प्रॉफि सेयासीय से गुएज' णेंसे कोप तम्पार करने का प्रव युग प्रागया है) द्षिदमी हिस्‍्दों पर पर्याप्त प्रकापत डालना प्राधश्यक भाग कर ओऔ विनयमोहन दर्मा हे घने एक बैल में शोक-साहिएय छम्चह क दपा उस पर ठोप बारें करते को पादश्यक याता है / महों महीं प्रार्य शोर हविड माषाप्रों कया शुल्लवात्पक प्रस्ययन करत रूमय स्लो बिगय मोहब धार्मी ते धपेक हम सर दिय है थो प्रार्स माषाभों और द्बिद् भ्राप्ापों । एक छे हैं पष्त में बे बहुत (-- “पप्ते मह मस्देहठ होता है रि कहीं इस भाषा को शुद्ध शामिए बश बी भाव कर भूम हो गई्ीं की पई, इसोशिये सये छिरे से भारतीय मायाप्ों हुए सब का गए प्रारम्म करता भावश्यक हैं । जपरोक्त बिडिस्न मर्तों के प्रकाए मे हम यह तिफेय हो निश्चय दे सब है हैं हि लाब-पाहिए्य-रर्दबेश्क् कर कार्य भारत को स्वर्ततता के प्रचात्‌ प्रद्न पूरा +न्‍परा धांबध्प५ होबया है। हमे इसपा पपषेद्ण कर इसे गहि देगो चाहिप जिसस भापुरिक पछपाय को संस्कृति को ठपा मदीत योगदताप्ों को बस मिले एड कउसहें पूर्०ों करने में शो ढौ जिम्हा का परस्पएणण स्रहमाय प्रात हो सह । झादषश्पद है. हिए शासभ तथा विद्रश्न इस कार्य को पूणा करने में पुए्त पूछ सहपोप प्रदान करें| शाछव का सहृयोप एवं कत्त स्‍्प्र कैब भें प्रदान रप्ने छ ही पृर्ण गई होठा बरद्‌ हम धामन से यहू भी काम्गा करते है कि बह एस दिएा में छघपनो पूरी-पूरी रजि जी प्रशणित करे दिसते पर्पद्ेहरों वो उत्वाए प्राप्त होता रहे प्रौर में इद परमाबायक शा को भसी- ॉठि पृष्ठ जो कर छक 1 श्इ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now