शाहजहाँ | Shaahjahan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शाहजहाँ । पहला अंक । जबकि: पहला च्भ्य । स्थान--आगरेके किलेया झाद्ा महल | समय- [ शाहजद्दों पठगपर आधे लेट हुए, हयेलीपर गाल रफ़्पे, घिर झुफ्ाये सोच रहे है और “ सटक ” मुँदहस >गाये बीच चौचमें घुओँ छोडते जाते है । सामने शाहजादा दारा खडे दें । ] गराह०--दारा, हकीऊतर्म यह बहुत ही बुगी सत्र है । टाग०--झुजाने बगा्म बगायतका झटा जरूर खटा फ़िया है मगर अभीतक उसने अपने आपकी यादआाह नहीं मशहूर किया है। हैक मुराद गुजरातम बादआट बन प्रेठा है और दक््सिनसे औरग- जय मी उधर मिल गया है ।




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