भेपज - लक्षण - संग्रह भाग - 2 | Bhepaj - Laxan - Sangrah Bhag - 2

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क्रियोजोटस । श्र उठते न उठते पेशाव हो जाता है ( ऐपिपत, पेड्रोसेल ), बच्चे को पहले छी मीदके समय पेशाच दही जाता है ( सिपि.) परन्तु सहतमें हो उसती नींद नहीं खुलती , बच्चा सपना देखता है मानो वह शब्बासे उठकर पैशाब कर रहा है। पेशाब करनेशे समय और बाद भयानक जलन और वारकराइट होतो है ( सल्फ़ ), बार बार पेभावक् वेगके साथ थोडा पेशाब भौर बहुत प्याथ। खाँस- नेपर पैगाव छिटवककर निशलता है ( कारि, वेरेट )। पैशावक पहले प्रद- रका आव । स्त्री-जननेन्ट्रिय +---वरय'सब्चि-बालओ वाद प्रोढाग्रोंदी बीसार ( लेके )। शार्तव-स्रावत्े पहले ओर सम्तय बचरापनके साथ काममें गरज और गू जनेकी प्रावाज , प्रचण्ड सर ददे (सिपि )। भात्त बन्लाय-श्सल्त यमेंहो पेदा हो जाता है, बहुत ज्यादा भर बचत दिनोतक स्थायो , खावके समय तकलोफ तो होती 'ही है, पर यद् तकलीफ सलावश बाद श्र भी बढ जाती है , लेटते ही स्राव हीना आरमा दो जाता है ( मैग-कार्व ), उठ बेठने या चलनेके सम्तय बन्द हो जाता है (केवल चलनेशे समय स्थिर हो जाने पर ही स्राव बन्द हो जाता है लिलियम-टाई,--सोते हो स्राव बन्द दो जाता हैक फैक्ट, कास्टि, लिलियम )1 शोतल पानीय पौनेपर आत॑व-स््रावके सम्यक्षी तकलीफ” घट जावी है , ख्ाव बीच वीचमें एक एक बार रुक जाता हैं और कुछ देर बाद फिर आरभ्म हो जाता है ( पलूस, फेर, लैक-कैन, लेके, मररेवप सका, सिक्लेलि )। स्थाव काने रगका और कपाय ( बोवि, कैलि-कार्म लेके, भेग-कार्व पेढ्ेल,--कॉले रगका स्तराव ऐसोन-सूर, काव्यु, साइक्रें, केलि-नाई, इसने, पट, पलस, सैद्धिविन, सिकेलि )। जात्त व-स्रावक्षे बाद प्रदरक्षा स्राव , स्राव>कपाय, लचाको चय करनेवाला और बदवूदार ; दोनों पटत॒मोंश बोचके समयमें स्राव बढ़ जाता है ( बोवि, वोर )। रे शस्यज्ञी तरह गखवाला स्ताव वस्त्र आदिमें लगनेपर पोला दाग पडता है और सूखनेपर कडा ओर दाडकड करता है। तलपेट्से योनिक्रे भीवरतक पतली सनाई गडनेकी यरढ दर्द, चल- नेक्षे समय घटना और सोनेपर बढना। रमणके वाद खूनका स्थाव ( सिपि ) » प्रदर-सावके समय खीचनकी तरद्द कमरमें दर्द, मानो कमर दूठी जाती है और इसके साथही योनिकी जीर दवाव मालूम होता है, शरोर दिलानेपर घटना और वियामसे या स्थिर होकर सोनेपर बढना। रमण और आलिड्नके समय योनिमें जनन हुआ करती है और इसके दूसरे दिन काले स्गका खन प्रिला




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