श्रावक प्रतिक्रमण | Shravak Pratikraman

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1375 Shravak Pratikraman by मुनि नथमल - Muni Nathmal

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मुनि नथमल जी का जन्म राजस्थान के झुंझुनूं जिले के टमकोर ग्राम में 1920 में हुआ उन्होने 1930 में अपनी 10वर्ष की अल्प आयु में उस समय के तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टमाचार्य कालुराम जी के कर कमलो से जैन भागवत दिक्षा ग्रहण की,उन्होने अणुव्रत,प्रेक्षाध्यान,जिवन विज्ञान आदि विषयों पर साहित्य का सर्जन किया।तेरापंथ घर्म संघ के नवमाचार्य आचार्य तुलसी के अंतरग सहयोगी के रुप में रहे एंव 1995 में उन्होने दशमाचार्य के रुप में सेवाएं दी,वे प्राकृत,संस्कृत आदि भाषाओं के पंडित के रुप में व उच्च कोटी के दार्शनिक के रुप में ख्याति अर्जित की।उनका स्वर्गवास 9 मई 2010 को राजस्थान के सरदारशहर कस्बे में हुआ।

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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णमक्कार सुत्त ( नमस्कार सूत्र ) णमो अरिहंताणं | णमो सिद्ाणं । णमो आश्ररियार्ण । णमो उवच्झायाणं | णमो ,ठोए सब्बसाहूणं । ( छाया ) मम; जरिहन्दृभ्य: / ' नमः सिद्धे भ्यः _ नमः आचारयेम्यः.. नमः उपाध्यायेभ्य: : » नम छोके सर्वेसाधुभ्य:




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