सूर्य का रक्त मनहर | Surya Ka Rakt

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Surya Ka Rakt by मनहर चौहान - Manhar Chauhan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मनहर चौहान - Manhar Chauhan

Add Infomation AboutManhar Chauhan

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
मू्ये का सर # २५ “मैं नहीं पहचान सका ।/ बूंद सामने के मकान में प्रवेश कर चुका था और मुठुन्द की भोर देखे विना कह रहा था, “मेरी झांखें बहुत वम- जीर हैं, रतोंवी झोर मोतियाविन्द दोनों का वीमार हूं हां, वे लोग घुड़- सवार ये, इतना मैं भ्रवश्य बह सकता हूं 1” मुबुन्द को याद भागा कि बूढ़े ने कटा था, वे गुत को उठा से गए +>याने वह जीवित होनी चाहिए । वे लाथ को योड़े ही से जाते । वैसे गुत इतनी खूबसूरत थो कि उस की साथ भी*“*सिहर गया मुझुन्द । प्रपनी वीवियों से दर, मौठ के खौफनाक साए में, मरने या मारते वा लगातार इन्तजार करते सेनिक--विश्ेष कर मुगल स॑निक--कई बार अत्यधिक वामुक हो उठ्से थै। इन सेनिकों को पर-वार छोड़ कर निकले बरमों गुजर घुकै थे ) जितनी टस्थियां मोगी जा सकें, भोग सो, न जाने कब मौत का बुलौवा झ्रा जाएं--ऐसी मनोवृत्ति उन में थैदा हो यर्ड थी, जो स्वाभाविक भी थी। मराठों के छाप्रामार युद्ध करते वाले दलों वी देखादेखी मुगल दल भो छापे मारना सोख गए ये शोर हालाकि घिवाजी- ओऔरंगजेव में सन्धि हो चुकी थी, मुगलों के छाप्रे पढ़ना कोई प्रनहोनों बात नहीं थी। मराटों में इतनी भूख नहीं थी। युद्ध के लिए उन्हें लम्बे भरते तक घर-वार छोड़ते नहीं पढ़ते थे । बीच-वोच में छुट्टियां ले कर दे वैवाहिक जीवन दिशा भावे ये। धर्म ठया कर्त्तव्य में भास्था उन्हें छुले व्यमिचार से रोकठी थी । वैसे वे भी, द्वूप के घुले हों, ऐसी बात नहीं थी । मुदुन्द दीवार का सहारा ले कर खड़ा हो गया था । दृढ़े ने उसे एक दुर्सी पर विठाया। दूसरी हुर्सी पर खुद बैठा भौर रटा, “ठुम देख सकते हो, यहां से गुल का महान ठोक सामने पड़ता है| मैं प्रक्मर यहां बैंठ कर उघर देखा करता थां। परसों रात दस बजे के करोद में कसी शोर के कारण जाग गया । बहुत कम दिसाई पड़ रहा था, फिर भी मैं बाहर निकला मैं ने बुद्ध घोड़ों को भागते देखा | मैं ने गुल की चीख को पहचाना । यह चीस धोर्ों के साष दर चती मई। मैं ने भपती पत्र




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now