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Mahabandho  by फूलचन्द्र सिध्दान्त शास्त्री -Phoolchandra Sidhdant Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्व० पुण्यश्लोका माता मूर्तिदेवीकी पवित्र स्मृतिमें तत्सुपुत्र साहू शान्तिग्रसादजी द्वारा संस्थापित भारतीय ज्ञानपीठ मूर्तिदेवी जेन-गन्थमाला मु ०1० ब्दु बु० बुर थुं गुर लुक कुक १९ बू ढ्ढ्् ५० ०२० न्ट्‌र रु न्पुण का हुं था + भारत अन्थादह्ू € ६ 1 थुँ बै दूँ ८९ूघ दूर कुक *,1० गुड रु बुर ०९० आयु ं ०० गुर ुँ नर कक नर ० इस अन्यमाछामें प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, हिन्दी, कन्नढ, तामिल भादि प्राचीन भाषाओंम उपलब्ध आगमिक, दाशंनिक, पीराणिक, साहित्यिक और ऐतिहासिक आभादि विविध-विपयक जैन साहित्यका भनुसन्धानपूर्ण सग्पादन और उसका सूल और यथासम्भत्र अनुवाद आदिके साथ प्रकाशन होगा | जैन भण्डारोंकी सूचियों, शिलालेख-संग्रह, विशिष्ट विंद्वानोंके अध्ययन-गन्थ और लोकहितकारी जैन-साहित्य अन्थ भी इसी अन्थमालामें प्रकाशित हंगे । १४९४८४४४९४७४४४७४ ७ फीड जीफी डी डी ४४ ७ डी ४ डी जी धटीफी ४ आए ४७४4 ग्रन्थमाद्या सम्पादक प्रकाशक डॉ, हीरालाल जैन, ' अयोध्याग्रसाद गोयंलीय एम० ए०) पा लिट्‌ ० मन्त्री, भारतीय ज्ञानपीठ डॉ, आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये, .' दुर्गोकुण्ड रोड, वाराणसी एम० ए०, डी० लियद्‌० स्थापनाबवद्‌ सर्वाचि की विक्रम सं० २००० फादणुन कृष्ण £ ' कार खुराच्तत हे गर रि १८ फरवरी सन्‌ १६४४ चीर नि० २४७०




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