घर बने घर टूटे | Ghar Bane Or Ghar Tute

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Ghar Bane Or Ghar Tute by रामकुमार -Ramkumar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामकुमार -Ramkumar

Add Infomation AboutRamkumar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
थी, लेकिन. ..उसे घर की फ़िकर कब हुई थी, शायद अब दूसरा ब्याह कर ले।! , रेडियो में सवेरे की खबरें शुरू हो गयो थी और स्टाल के सामने कुछ लोग दातुन चवाते हुए खडे हो गये थे । किसी के शरीर पर एक बनियान भी और कोई सिर्फ़ एक लुगी बाँघे ही अपने रात के उत्झे वालों में उगलियाँ । घुसेड़ रहा था। कुछ सवारियाँ ताँगे के अड्डे पर किराया तय कर रही थी। देवू धीरे-धीरे चाय का प्याला होठो से लगाता और थोड़ी-योडी चाय की चुस्कियाँ लेता, एक साथ ही जददी-जल्दी चाय खत्म कर देने को उसकी इच्छा नहीं थी। फिर उसने बीडी सुलगायी और सामने आनन्द पर्वत को पहाड़ियों की ओर देखते हुए बीड़ी के कश खीचने लगा । आसमान साफ था और सूरज की किरणों में धीरे-धीरे गर्मो बढ़ने लगी थी । अचानक घी रजसिंह उसके पास वाली कुर्सी पर आकर बैठ गया और उसने अपनी एक वाँह देबू के गले मे डाल दी। देबू ने धीरजर्सिह की बाँह का पसीना अपनी गरदन पर अनुभव किया । “सुना यार देवू, आजकल तो सुना है, तु काफी कमाने लगा है । अब तो वचनभिह तुझे अच्छे पैसे देता है, कल ही वह मुझसे कह रहा था...।” यह कहकर मुसकराते हुए उसने देवू की ओर देखा 1 “वया कह रहा था वचनर्सिह ?” देवू ने चाय का अतिम धूंठ पीते हुए पूछा।..| “तू उससे कहना मत, उसने मुझे कसम दिलवायी थी कि मैं तुझसे नही कहूँगा, लेकिन यार तुमसे क्या परदा है--लेकिन कहुता मत, नही तो वह मुझ पर भुस्सा होगा और शायद मुक्सासिह से मेरी शिकायत भी कर दे...।” #/तू डरता क्यो है, मैं वचनसिंह से नही कहूँगा।”! “मुझे तेरी बात का भरोसा है। वह कहता था कि जब बहू दुकान पर नही होता तो पचर या हवा भरवाने के पैसे शायद तू अपने पास रख लेता है...।” घीरजतिह देबू की आँखों की तरफ़ देखकर कह रहा था। देवू चौंक पड़ा, जिससे धीरजसिह को अपनी वाँह उसके गले से उठानी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now