काव्य त्रिवेणी | Kavya Tirveni
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
332
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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स्वामीनाथ - पूज्य
श्री पूलचन्द -गरु- स्तुति
“+# मालिनी वत्तम् #--
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जयति सुजनतानां, योजने योकतृचन्द्र:,
सुगुण - गण - गरिस्ना, गीयमानों गुरोन्नद्रः+
सतत समितिसुक्त्या, सूरि - सूर्य - प्रकेन्द्रग,
जयतु दिवि हि देव, धृलचन्द्रो मुनीन््द्रः।
न: पद्यार्थ #-
भवि को सनन््मसाग बताने से
है .. तुम “योक््तुचन्द्र” कहलाते हो।
गुण गण गरिमा से स्तुत्य बने द
गरुणियों में इन्द्र सुहाते हो॥
समिति सुक्त के भाषण से
आचाय समान सुनोइवर हो।
अ्री धुलचन्द्रर गुरुराज श्रापकी
सदाकाल हो जय जय हो ॥
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