जैन धर्म प्रकाश | Jain Dharam Prakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
306
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about ब्रह्मचारी शीतल प्रसाद - Brahmachari Shital Prasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)11 |
>ज्ञान द्वाम क लिये प्रथों दे निम्न चार माय बताये हैं। इनों
चारवेद भो कहते है --. - डर
हैः प्रयथमाजुयोगे-- इस विभाग से इन महान, शुरुत्ता वे
। हिजयों के जीरतचरिभ्त् हैं, मिन््द्रोंने आत्मकल्याण क्रिया था
ब जो आगे करेंगे। इस़ कल्प में इस भरतत्षेत्र मे ५३, मुद्दापुरुष
हो चुके हैं उनका सक्तिप्त बेन दमन इस पुस्तक में दे दिया
है। इन्हीं में श्रा ऋषभदेव, श्री अरिष्टनेमि,,शोपारव, श्रा मइनोर,
श्रीगमचद्र, श्रीकृष्ण, आदि,गर्मित ,हैं । विस्तार से जानने के
(लिये भद्दापुराए, पद्मपुराण, दृरिबशपुराण आदि देफपन
थोग्य हैं ++ ५,
० ३ करणानयोग--ईस विभाग में इस तिश्व का नफशा
ब्रे>माप ये 'त्रिभाग वर्दित हैं। सगे, नऊे कह्दा,हैं. ९ मध्यलोक
3क्रद्मा है ९ धहाँ क्या ९ रचना रदा करतो हू. १ इस सम्बन्ध का
चर्णन देसने क लिये त्रिलोकमार प्र, जम्बद्वीप श्रश्नप्त आदि
+पदूने योग्य हैं ।
३, चरणानयोग---इसमें यद् कथन है हि गृद्स्थ व
गुधस्यागी साधु को क्या २ धर्माचग्ण पालना चाहिये। इसका
धन इस पुस्तक में आवश्यकतालुसार क्यया गया है। विशेष
।जानने वालों फी .मूलाचार, रत्नम्रएडश्राअफाचाउ, चारित्रसार,
पुरुषार्थे सिद्धशुपाय आदि प्रथ देखने चाहियें ॥
३. द्रब्यानुयोग-- इसमें सर्व तत्वज्ञान है व अध्यात्त
कथन है, जैन लाग इस जगन-को लिन छ मूल द्वव्या पा सम
User Reviews
No Reviews | Add Yours...