समता वाणी | Samta Vani

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Samta Vani by साध्वी रत्नत्रयी - Sadhwi Ratna Trayii

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समता वाणी 5 सर्व दीसे तेज - रूप, नमो सिद्ध निरजन ||७।। जगत जिनके दास दासी, तास आस निरासन | चन्द्र पै परमानन्द - रूप, नमो सिद्ध निरजन |।८।। स्व-समय समकित दृष्टि जिनकी, सोय योगी अयोगिक | देखतामा लीन होवे, नमी सिद्ध निरजन |1॥६।। चन्द्र सूर्य दीप - मणि की, ज्योति येन उललघित। ते ज्योति थी अपरमज्योति, नमो सिद्ध निरजन ||१० || तीर्थ सिद्धा अतीर्थ सिद्धा, भेद पच - दशाधिक। सर्व- कर्म - विमृक्त चेतन, नमो सिद्ध निरजन |।११।।] पाए क्ञाशूएनाऊादार परायश > विरन्‍तर उध्ययन- दिस्तन- मतय नम जागर 22 हे तस्न्स के थ #% गसारी- जागरण नी लिए निरन्तर ५ श्र जज > इलि- निषेध के लिए संदेव रूगर/ च कक कट हा च् हो ३ आ ७ अमयाह७ 5५७४ मा॥र/३09५३५ काश ५४० का ७५०५५० ३ कक॥9७ ३०७७५ न्‍का १४९३ ५+पा>५+वत७७५५#वकाकावन (ताक $ ८५ 3१ श च्




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