नायिका | Nayika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
198
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रा नाम सत्य मल्लिक है ! हमलोगो के यहां से पापके सत का
जवाब नही जा सका, बयोकि हमलोग बुरी तरह बुकड हैं। भापके यहा इस
वार हम लोग प्ले नही कर सकेंगे । हम लोगों के पास समय नहीं है।!
निरापद इस जवाब के लिए तैयार द्ोकर ही धाया था । उसने रहा,
“लेकिन सिर्फ एक रात के लिए यदि झाप समय निकाल सकते, तो हमलोग
बहुत निहाल हो जाते। हमारे यहा सभी लोग मजरी सेन को देसना
आवाहते है।!
'ग्रमभव ! ' बहकर सत्य मल्लिक ने मिंगरेट का एक सम्यां कश
सीचकर बहुत सारा घुप्मा छोडा प्रौर फिर कहा, जिन््होंने पहले से बुक
कर रखा है, उसको तो हम लोग निराश नही कर सकते। उन लोगों के
चेक तक हमने केश कर लिए हैं।'
निरापद ने कहा, 'इसीलिए, सर | हमलोग नकद रपये लेकर पाए
हैं कि भाप चेक शायद न लें ।'
सत्य मल्लिक के लिए रुपयो का लालच सम्हालना बड़ा मुश्किल था।
मिर्फ सत्य मल्लिक ही क्यो ? बहुतो के लिए मुश्किल है। सासकर घियेटर-
दल मे, जहां बहुत-से भमेले हैं, वहा मिट्टी के टुकड़ों बी तरह रपये छित-
राने पड़ते हैं ।
निरापद या घुटा हुप्रा लडफा। इन सबसे भली भाति परिचित !
सारे रुपये दस-दस के नोटों में थे। नोटो को उसने टेबल पर फैलाकर रख
दिया।
सत्य मल्लिक हि-है! कर उठा | बोला, हैं, है, यह क्या ? बहा पर मत
रेसिये ! घाय के: दाग लग जायेंगे ।/
कुछ देर पहले ही चाय पी गई थी । पॉलिश से चमकती टेबुल पर कप
कै पेदे के दाग पड़ गए थे । सत्य मल्लिक ने ऋटपट वे सब रपये उठा लिए
पझौर बोला, 'तुग लोग रपये दे रहे हो, भाई पर जाने की तारीस प्रभी
नही दे पाऊगा 1
निरापद ने बहा, 'भाष सोग तो उधर से ही लोटेगे । नैनागज स्टेशन
पर धाप लोगों की ट्रेन दहरेगी, तव एक रात के लिए यदि उतर जाते थे
स्टेज कैसा है ? हॉल तो वच्या है न
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