रचना विचार भाग २ | Rachna Vihar Part-ii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
300
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चर्णनात्मक अवन्ध । 1
याली पूँछ बहुत छोटी होती दै । चिपते पाँच के नीच गद्दी
सा मास का लॉदा होता है श्र 'डसमें ,नश शोर कटे पुर
होते है । देह का रइ कुछ पीलापन लिये मच्याला होता है |
पक बेदव जानवर है। बंठने उठने से इसके घुटने शोर
छाती में घट्टा पड जाता हैं !
वासस्पान--यहट एशिया और धव्यक्रिका महादेश फे उपप-
प्रघान धरदेश का जन््तु हैं। यह अरेबिया, बक्ट्रिया, तनिथ्रत
आर चौन में भी होता है । अन्यान्य म्पानों में सी साधारणन
पाया ज्ाता एँ
स्वभाव और गुण--यट बडा ही शान्त प्रकृति का होता
है| घास-पान शाता है। खज्र और बदूर ये कॉँटों तय गया
डालता है। लोग फद्ते हैं कि इसकी माफ की हया से परदे
कोमल हो जाते है । यह पागुण फरता दूँ । इसका मुंश चताना
खर्प-पर शैंसी सी शानों ६1 हमेशा लबघलब शिया करता ६ ।
अगर इससे कोई दुर्यपातार करे ते उसे ब्रटुत दिन तप
खयात फेर यदला लेता है। डू थ्ँ में जथान हो जाता।*
2०--भ० पर्ष तक्क जी सकता ऐ | इसको अप्टि और प्ारा
शक्ति बड़ी तोप्ण ६€। यह घशत बाम्म मो सका € 1 गादों
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सेब मिलाता हैं और गिरा इना चाहता ँ । या ४१०
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छपफार और नवहार--पा उप मरमदेश का दा मो
उपयार्श औौष है । यह अरवियों था धरथार सहाय है । झट
शा वी पराजुबागयी सुपर पार एरने के शिये उन्ड साथ शा)
जगा काम देता है। बाल में दपरी पर गशेदार होने से परत
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