श्रीमद्वाल्मीकि - रामायण भाग - 8 | Srimadvalmiki - Ramayana Bhag - 8
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36 MB
कुल पष्ठ :
718
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कं
युद्धकाणड उत्तराड
को
विषयानुकमणिका
अड्सठवाँ सगे ६६७---७० ३
युद्ध से भागे हुए राक्षसों द्वारा कुम्भकण के मारे
जाने की सूचना रावण को मिलनी । कुम्भकर्ण के मारे
जाने पर रावण का विलाप | उस सम्य रावण को
विभीषण की बातों का स्मरण होना ।
उनहत्तरवाँ सगे ७०३--७२७
त्रिशिरा का रावण को आश्वासनप्रदान | त्रिशिरा,
अतिकाय, देवान्तक, नरान्तक, महोदर, सहाकाय आदि
की युद्ध-क्षेत्र-यात्रा । बानरों और राक्षसों का घोर युद्ध ।
नरान्तक का वानरी सेना को ध्वस्त करना । वानर सैन्य
का नाश होते देख, सुत्ीब की अन्नद के प्रति वक्ति |
तदनुसार अदन्भद का युद्ध के लिए आगे बढ़ना । नरान्तक
ओर अज्ञद का युद्ध । नरान््तक का अन्नद के दवाथ से बध।
सत्तरवाँ सग ७२८--७४ ५
देवान्तक, त्रिशिरा, महोदर का अज्ञद के साथ
युद्ध । देवान्तक का वध । महोदर का वध । त्रिशिरा का
वध । उन्मत्त राक्षस के साथ हरियूथप गवाक्ष का
युद्ध । उन्मत्त राक्षस का गवाक्ष द्वारा बध |
इकद्दत्तरवाँ सगे ७४४--७७३
भाई, चचा आदि के वध से क्रद् हो, अतिकाय का
युद्ध करने के लिए आना | झतिकाय की मार से वानरों
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