हे भानमती | Hai Bhanamati

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सायर ने बुदबुदाते हुए दात पीसे, “गोंठवाली, में तुम्हें कभी नहीं
मूलूगी' “तुमने बली को मुझसे छीन लिया 1” फिर उसने विरदू के हाथों
से रोटियां झपटकर धूल में फ्रेक दी, “इन्हें मत खाओ !”
मैं गाड़ी हांकता रहा । नही, मुझ मे ईर्प्पा नहों थी। सायर से यह
कहना व्यर्थ था कि घुरू में मैंने और वली ने साझे में औरतें भगाने
का धंघा चलाया था। अव तो शज्ञायद वह भी इस बात को भूल गया
होगा । 0
एक बाह कटी हुई | १५
User Reviews
No Reviews | Add Yours...