क्रिया - कोश | Kriya - Kosh

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
383
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रकाशकीय
श्रद्धेय मोहनलालजी वाँठिया ने, अपने अनुभवों से प्रेरित होकर, एक जेन-विपय-
कोश की परिकल्पना प्रस्तुत की तथा श्रीचन्दजी चोरड़्िया के सहयोग से, प्रमुख आगम
ग्रन्थों का मंथन करके; एक विपय-सूची प्रणीत की । फिर उस विषय सूची के आधार पर
जेन आगमों से विपयानुसार पाठ संकलन करने प्रारम्भ किये | यह संकलन उन्होंने प्रकाशित
आगमों की प्रतियों से कतरन-विधि से किया । इस प्रकार प्रायः १००० विषयों पर पाठ
संकलित हो चुके हैं । णहीत पुस्तकों से संकलन समाप्त हो जाने के बाद उन्होंने 'नारक जीव
संबंधी पाठों का सम्पादन प्रारंभ किया | लेकिन हम कुछ मित्रों ने उनसे अनुरोध किया कि
वे इस विषय को स्व प्रथम ग्रहण नहों करें । वन्धुओं के अनुरोध को मानकर उन्होंने 'नारक
जीव” विपय को छोड़कर जेन दर्शन के रहस्यात्मक लिश्या” विपय को चयन किया और
उसके ऊपर संकल्षित पाठों का सम्पादन कर 'लिश्या कोश नामक पुस्तक स्वयं ही प्रकाशित
की । यह लेश्या कोश? विद्वद्वर्ग द्वारा जितना समादत हुआ है तथा जेन दशन और वाड़मय
के अध्ययन के लिए जिस रूप में इसको अपरिहाये बताया गया है और पत्र-पन्निकाओं में
समीक्षा के रूप में जिस तरह सुक्तकण्ठ से प्रशंसा की गयी है, यही उसकी उपयोगिता तथा
सार्वजनीनता को आलोकित करने में सक्षम है । ह
श्री मोहनलालजी बॉठिया के जेनागम एवं वाड्मय के तलस्पर्शी गम्भीर अध्ययन
द्वारा प्रसूत कोश परिकल्पना को क्रियान्वित करने तथा उनके सत्कर्म और अध्यवसाय के
प्रति समुचित सम्मान प्रकट करने की पुनीत भावनावश जैन दर्शन समिति की संस्थापना
महावीर जयन्ती १६६६ के दिन की गई है । इस नवगठित संस्था ने वतमान में वाँठियाजी
द्वारा संकलित और बर्गीकृत कोशीं का प्रकाशन-कार्य अपने हाथ में ग्रहण कर लिया है।
यह क्रम निरन्तर गतिशील रहे इसकी पूर्ण चेष्ठा की जा रही है। इसी प्रयास-स्वरूप
क्रिया-कोश आपके समक्ष प्रस्तुत है ।
में यह भी उल्लेख करना चाहूँँगा कि श्री वॉठियाजी के इस प्रयत्न और प्रयास में
सक्रिय सहयोग कर रहे हैं श्री श्रीचन्द चोरड़िया । श्री चोरड़िया एक नवोदित और तरुण
जैन विद्वान हैं, जिनकी अभिरुच्चि इस दिशामें इलाघ्य है ।
जैन दर्शन समिति ने कोश-प्रकाशन की योजना को किसी तरह की लाभवृत्ति या
उपाज॑न के लिए हाथ में नहीं लिया है, अपितु इसका पावन उद्देश्य एक अभाव की पूर्चि
[7 ])
User Reviews
No Reviews | Add Yours...