पैर तले की जमीन | Pair Tale Ki Zamin
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अब्दुल्ला : हा, कल तक यही न बैठे रहना है तुझे । अब जाकर लाना
नही है उसे'*'“इसकी ग्रुड्डों दीदी को ***स्विमिंग पूल से ?
नीरा : वह खुद ही आ जाएगी अभी। गीले कपडे बदलने गई है
बहा ।
अब्दुल्ला : तो अत्र तक क्या वह गीले कपड़ों मे ही***
नीरा : तुर्म मतठव ? तू मुझे पानी का गिलास बयों नही देता ?
अब्दुल्ला : पानी-बानी का गिलाम नही मिल सकता इस वक्त 1
नोरा : पानी का गिलास क्यों नहीं मिल सकता ?
नीरा पलछ-भर अब्दुल्ला को देखती रहती है,
फिर नियामत की तरफ देखती है, फिर गिलास
खुद ही खोजने ठगतो है ।
पण्डित : सुना झुनझुनवाला-“'पुल टूट गया है ! (हल्की हूंती
के साथ) तव तो मौका ही इथर बैठकर पीने का है।
नही ?
अठदुल्छा इस बीच ताछे को ठोंक-पीटकर बन्द
करने की कोशिग करता है, पर वह नही बन्द
होता, तो उम्र लठटकता छोड़कर काउटर से
आगे आ जाता है ।
अद्गुल्ला ; मौका तो है साहब, पर पीने को कुछ नही है। बार बन्द
हो जुका है । आपको जो कुछ चाहिए, वह अब उधर चल
कर ही मिल सऊता है।
पष्डित : मौका इधर बैठकर पीते का है, और जो कुछ पीना हो,
बह उघर चलकर ही मिल सकता है। इधर बार बन्द हो
घुका है, उधर पुछ ट्ट गया है । वाह !
अखबार समेटकर शेरवानी के बटन बन्द करता
हुआ केबिन से बाहर आ जाता है 1
पर अभी वार बन्द वहा हुआ है ? ताला ₹
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