महाभारत का सौप्तिक पर्व | Mahabharat Ka Sauptikaparv
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
Ved Vyas was a great and known poet during time of Mahabharat. He was the son of Satyawati and also was a step son of King Shantanu of Hastinapur. He wrote the book Mahabharata in which he told about the great war which happened almost 5000 years ago from now. He was also the writer of Shiva Purana and Vishnu Purana which were very important books in Hinduism. He was given the degree of Ved Vyasa.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(1275 ) दिवपएध४ 1 सीप्तिकपदे (७२७५
अश्बत्याभावादँ ! प्पमेव तथारथ रद माठुलइ न संदाधः तसतु प्रमप सेलुः शवघा
चिदकीकृत+ ॥ १८॥ प्रस्थस्त समिपालानां भधताब्चापि सन्रिजे न््यस्तदासत्रो भस
पिता घृष्चुम्नेय पातितः ॥ १९, ॥ क्ृणम्ध पतिते चक्क श्थहप श्थिनां घरः। उच्षमे
ध्यस्त सन्नो एतो गाष्णोवघप्वता ॥ २० तथा शान्तनदरो माष्मो ध्यप्तदाओं निरा
युयः | शिपण्डित प्ररछृत्व दतो गाण्डीव्यामित ॥ २१ | सूरिभ्रया महष्दासस्तथा
प्राषगतो रणे। प्लोशर्ता शूमियालादा सुसयुषानेद पशतितः ॥ २०२ # चुयोचनब्ध भीमय
सम्ेत्य शद्दा रण । पएपता सूमिपालानामधक्वैण निषातितः ॥ २१ ॥ एक!को चहुामि
स््तञ्न॒ परिदावे प्रारयः । रूम गरप्यारों मीमसेनवन पातित, ॥ २४ ॥ विल्वापो
भष्नसक्थस्थ यो शहर: एरिह्रतः। धातिकानां फचयतां छ में भर्माणि कृन्तति॥२७५ ॥
बुषष्याघार्िकाः पापा: पभ्चाछा सिम्तलेतवः ।तातेव मिन्नमय्पदिव।ँ सवाध
बोके हे मावादी नेसा आप करते हू बह निरसन्देह वेसादी है परन्तु प्रथय उन
पाणदबोनेद्दी इस पर्मरूपी पुलकों तोदाई । १८ । श्र त्यागनेवाला मेरापिता
राजाओं के समत्तमें भापलोमों के भी देखतेहये धृष्टएम्न के हाथसे गिरायागया
1 १९ | रथियोमे भ्ष्ठ कर रथ चक्रके शथ्वीमघुमनानेपर बड़े दुःखमें हूबाहुआ
उस अजुनदो हायते पारागणा । २० । इसीमकार श्र त्यागनेवाले पनुप भादिकसे
संहत एन्तनुक्े पुथ्र भीष्पणी थे शिखंदाको भगेकरके भर्जुनके हायमे मारेगये
1२१ । ईसीमकाए युद्धमें शरीर स्पागने के निम्तिच वैठाहुआ भूरिभ्त्रा राजाओं
के पुकारतेइुये सात्याकैके हाथस मारागया। २२ । दुर्य्पोधन गदासमेत भैममनके
सम्मुण होकर रामाओंके देखते अधम्मसे मारागपा । २३ । वहाँ भकेला मरोत्तम
बहुत रथियंसि घिरकर अप युक्त भामसेनके हाथते गिरायागया ॥ २४ । मेंने
दुर्तोंके मुखसे टूटी जेघादाले राजाका जो विलाप सुना वह परे मस्थलों को काट
ताहै । २५ । उस प्रकारस पांचालदेशी लोग भरधर्थी और पापी हैं मिनका कि
धरमेका पुछूदूट गयाँह भाप हसप्रकारंस उन बे मर्यादबरालोंकी मिन्दा नहीं करतेशे
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