महाभारत का सौप्तिक पर्व | Mahabharat Ka Sauptikaparv

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Mahabharat Ka Sauptikaparv by वेदव्यास - Vedvyas

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Ved Vyas was a great and known poet during time of Mahabharat. He was the son of Satyawati and also was a step son of King Shantanu of Hastinapur. He wrote the book Mahabharata in which he told about the great war which happened almost 5000 years ago from now. He was also the writer of Shiva Purana and Vishnu Purana which were very important books in Hinduism. He was given the degree of Ved Vyasa.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(1275 ) दिवपएध४ 1 सीप्तिकपदे (७२७५ अश्बत्याभावादँ ! प्पमेव तथारथ रद माठुलइ न संदाधः तसतु प्रमप सेलुः शवघा चिदकीकृत+ ॥ १८॥ प्रस्थस्त समिपालानां भधताब्चापि सन्रिजे न्‍्यस्तदासत्रो भस पिता घृष्चुम्नेय पातितः ॥ १९, ॥ क्ृणम्ध पतिते चक्क श्थहप श्थिनां घरः। उच्षमे ध्यस्त सन्‍नो एतो गाष्णोवघप्वता ॥ २० तथा शान्तनदरो माष्मो ध्यप्तदाओं निरा युयः | शिपण्डित प्ररछृत्व दतो गाण्डीव्यामित ॥ २१ | सूरिभ्रया महष्दासस्तथा प्राषगतो रणे। प्लोशर्ता शूमियालादा सुसयुषानेद पशतितः ॥ २०२ # चुयोचनब्ध भीमय सम्ेत्य शद्‌दा रण । पएपता सूमिपालानामधक्वैण निषातितः ॥ २१ ॥ एक!को चहुामि स्‍्तञ्न॒ परिदावे प्रारयः । रूम गरप्यारों मीमसेनवन पातित, ॥ २४ ॥ विल्वापो भष्नसक्थस्थ यो शहर: एरिह्रतः। धातिकानां फचयतां छ में भर्माणि कृन्तति॥२७५ ॥ बुषष्याघार्िकाः पापा: पभ्चाछा सिम्तलेतवः ।तातेव मिन्‍नमय्पदिव।ँ सवाध बोके हे मावादी नेसा आप करते हू बह निरसन्देह वेसादी है परन्तु प्रथय उन पाणदबोनेद्दी इस पर्मरूपी पुलकों तोदाई । १८ । श्र त्यागनेवाला मेरापिता राजाओं के समत्तमें भापलोमों के भी देखतेहये धृष्टएम्न के हाथसे गिरायागया 1 १९ | रथियोमे भ्ष्ठ कर रथ चक्रके शथ्वीमघुमनानेपर बड़े दुःखमें हूबाहुआ उस अजुनदो हायते पारागणा । २० । इसीमकार श्र त्यागनेवाले पनुप भादिकसे संहत एन्तनुक्े पुथ्र भीष्पणी थे शिखंदाको भगेकरके भर्जुनके हायमे मारेगये 1२१ । ईसीमकाए युद्धमें शरीर स्पागने के निम्तिच वैठाहुआ भूरिभ्त्रा राजाओं के पुकारतेइुये सात्याकैके हाथस मारागया। २२ । दुर्य्पोधन गदासमेत भैममनके सम्मुण होकर रामाओंके देखते अधम्मसे मारागपा । २३ । वहाँ भकेला मरोत्तम बहुत रथियंसि घिरकर अप युक्त भामसेनके हाथते गिरायागया ॥ २४ । मेंने दुर्तोंके मुखसे टूटी जेघादाले राजाका जो विलाप सुना वह परे मस्थलों को काट ताहै । २५ । उस प्रकारस पांचालदेशी लोग भरधर्थी और पापी हैं मिनका कि धरमेका पुछूदूट गयाँह भाप हसप्रकारंस उन बे मर्यादबरालोंकी मिन्‍दा नहीं करतेशे जं०ष 8907[प १९०७३ बीए पिणय इचणा + कैशा।णा3 81 88. 106 फ्रफ्नां(8 1 ग60च ६99760, 420 (छ5 &शाए४५का95 7जूजीं०्वे, ५ एै७घ डए७७) 10 धापत प्राल॑० २1४ धा७ एशा५१एघ्क 18976 एए३४१ए 07०:श1 पा0०(फ1086 ० एक, कैए 60 छ110 181 1कंते बंप 118. क्ूएजाड, जक३ छोक्षा। 9 िग्राव॥,1809 एफ गंध एणा ०च्चए फृरब00600,. सुंबका 18 ता8ए९४६ 0 एकांत णद्ब हीकात फिए 4710७ च०॥ दा 100] ता छांड (87 ०४ 8६ए० गा. गापएं,. 20... 8 कोगए फ%धिफ पर6 8णा ० 5087१, एाधि०ए५ बन्चाह छाते चछ1एतणा5, कम्क शोर छ् तप 1७1 फऐच डिभंदोार्फ, पृ (19 अक्राए8. ग्रध्याण, उिधष्रेकए७४२७, जी० पष्पे €जछ-घर्ते प्रॉंषाइजस ६० ऐेल्वधा वार ० गज ते छात्र, एव. शैकंछ फ़छ 84६४-८४ 19 शृ॑।8 छा #06 दाग्र०प्रडधब(णाड री जू। धा९ ऋष्घापणर, व2प०ए9०कोछा क्र पाुप०ए ६ एड ऊधांत व घै० एका९७ ण 2] धार कांगडव,. फ्र० 7००बॉ१७प दा पराशिए ऐ0०७ छोर 16 जन बाणाल जाएं 16 शार्णाए. हपाए०पशवे अरे मिल कक नकइडकल लि अ ० मकर मिल लि लग मय वटइनलनर कार मर. १ा ० मम हमलक८+३० १० नव




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