महाभारत भाग - 12 | Mahabharat Bhag - 12
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
1020
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ४) ह
युद्ध की भीपण आग- भारत में कया २ कोतुक दिखावे-इसे
कौन जान सकता है, परल्तुः दुर्भाग्य से कहीं परपर के '
वैमनस्थ की आग भइक उठी-तो उस समय फिर वही अपनी
संस्कृत्ति की रक्ता का प्रश्न खड़ा हो जावेगा... , -
- पूर्वकाल में क्षत्रिय वीर थे | हसने -भी अपनी तलवार के
जौहर दिखाए थे, परन्तु आज तो हस तलवार-का नाम भी नहीं
ले सकते । सच्चे ज्षत्रियों के दर्शन बहुत ही कम होते हैं।होनहार
की वात है; कि हिन्दुओं में अभी तक फूट भी पूष्र की भाँति घर
किए हुए है-ऐसी दशा: में हिन्दुओं का मार्ग प्रदशक कोन हो
सकता है ।
हमें यहाँ अधिक कहानी नहीं वढ़ानो हु;। प्रत्वेक हिन्दू अपनी
सम्यता की रंक्षा के लिए अभी से तय्यार हो जावे, परन्तु सबसे
अधिक तो ब्राह्मणों से निवेदन है; कि उन्हें द्रोणांचोय- और
अश्वत्यासा को उदाहरण वना कर अपनी संस्कृति की रक्षा के
लिए अच्छी तरह सन्नढ्ध हो जांनां चाहिए ए । उनके तो यंह ध्येय
बनजानाचांहिए क्रि->
अग्रतश्वृतुरावेदा: पृष्ठतः सशर धनु:
हद ब्राह्मामंद जात्र शापादाप शरादाप।॥
अर्थात्-तराह्मण के आगे चारों वेद ओर पीछे शरसंहित शरासन
'होना चाहिए। वह संसार को दिखा दे, कि ऐसा अहतेज होता है
ओर यह क्ात्रतेज है | वर! इसी में हिन्दू जोति 'की रक्षो का
: चीज सुगुप्त है । अश्वंत्थामा कहते ईं-- .'
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