क्रान्तिकारी आन्दोलन का वैचारिक इतिहास | Krantikari Andolan Ka Vaicharik Itihas

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Krantikari Andolan Ka Vaicharik Itihas by मन्मथनाथ गुप्त - Manmathnath Gupta

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मन्मथनाथ गुप्त - Manmathnath Gupta

Add Infomation AboutManmathnath Gupta

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
कविता के रचयिता कवियों को काले पानी की सजा दी जाती थी । इस सम्बन्ध में स्मरणीय है कि स्व राज्य नामक एक अखबार के आठ सम्पादकों को 1908 के जमाने में एक के वाद एक लम्बी मजाएं दी गई कितने ही कवियों को काले पानी भेज दिया गया लोकमान्य तिलक को खुदी राम की प्रशसा करने पर लम्बी सजा हुई इत्यादि-इत्यादि । यह बहुत ही ध्यान देने योग्य है कि जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि गांधी- वादी असहपोग आन्दोलन (1921) के पहले स्वतन्त्रता-सग्राम के नाम पर केवल क्रान्तिकारी आन्दोलन था और उसका एक लम्वां इतिहास वन चुका था जैसा कि मैंने दिखलाया है। बट इतिहास ऐसा था कि जो आज के परिप्रेदय में भी न छोटा पड़ा न मद्धिम हुआ वल्कि सच कहा जाय तो ज्यो-ज्यों इतिहाम भागे बदता जा रहा है त्यो-त्यों उसके कांच के अन्दर से वे घटनाएं तो वडी होती जा रही है और चाद की घटनाएं छोटी होती जा रही हैं। क्रान्तिकारी आन्दोलन से सन्‌ 1921 की उत्पत्ति इस सम्बन्ध में एक बहुत ही मजेदार घटना है जिसकी तरफ हमारे इति- हासकारों का भी ध्यान बहुत कम जाता है। वह घटना यह है कि गाधी जी के असहयोग आन्दोलन का सूचपात फ्रान्तिकारी आन्दोलन के जरिये से ही हुआ । यह घटना ऐसी है जहा आकर फ्रान्तिरारी आन्दोलन और सत्याग्रह आन्दोलन एक दूमरे से अगागी रूप से सम्बद्ध ज्ञात होने हैं। यह दियाई पड जाता है कि दोनों भले ही सामूहिक रुप से अलग-अन्तग मालूम होते हों पर दोनों की नाडियां जुड़ी हुई हैं और साधारण लोग भले ही इन दोनों को अलग समझें या मानें पर इतिहास की सर्चलाइट वाली आपो के सामने दोनो की अभिनतता दृष्टिगोचर हो जाती है छिप नहीं पाती । सन्‌ 1914-18 के महायुद्ध के समय भारत के श्रास्तिकारियों ने यह भच्छी तरह समझ लिया था कि यह एक मौका है जव प्रिटिश सरकार पर सीधा हमला होना चाहिए । उस युद्ध के चरित्र को अच्छी तरह समझकर उसमे फायदा उठाने के लिए लाला हरदयाल गदरपार्टी के बावा लॉग मानवेन्द्रनयय राय तथा अन्य अनेक प्रास्तिकारियों ने जिनका कुछ इतिहास मैंने अन्यय लियते की चेप्टा की है यह प्रयास किया कि ब्रिटिश शासन का तथ्ता उत्तर दिया जाय 1 सारे संसार में फंता आन्दोलन यह प्रयास बढुत बड़ा रदा और इसके जाल दिल्‍तो कलकत्ता से लेकर बटे- दिया तक हागराग से लेकर न्यूपार्क और यलिन तक पता हुआ या । यो लोग इस बाएं मे लिप्त थे ये इस मिद्धारत को सानकर चले रहे थे कि शत्रु का शत्ु अपना चास्तितारी युदा आन्दोलन / 17




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now