संस्कृत रचना | Sanskrit Rachana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
492
श्रेणी :
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No Information available about डॉ. उमेशचन्द्र पाण्डेय - Dr. Umeshchandra Pandey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पाठ १ १६
९. बलवानपि निस्तेजाः कस्य नामिभवास्पदम् |
निःशंक दीयते छोके; पश्य भस्मचये पदम् | (हिंतो० २),
१०, तीर्थोदर्क च वहिश्च नान्यतः शुद्धिमहेतः । ( उत्तर० १)-
१९, इध्बाकुबंश्यः ककुदं नृपाणां ककुत्स्थ इत्याहितलक्षणो>भूत् ।
( रघु० ६७१ )
अभ्यास के लिए अतिरिक्त वाक्य
१. अपस्ति तावदेकदा प्रसंगतः कंथित एवं मया माघवामिधानः कुमारो
यस्त्वमिव मामकीनस्य मनसो दितीयं निवन्धनम् | ( माल्ती० ३ )
२. एकसिमिज्ञीणकोटरे जायया सह निवसतः पश्चिमे वयसि वतमान्स्य कथमपिः
पिठुरहमेवैको विधिवशात्सनुरमवम् | ( काद० )
इ, देव, काचिच्वण्डालकन्यका शुकमादाय देव॑ विज्ञापयति | सकलसुवनतल-
[८
स्वेरत्नानामुदधिरिवैकभाजन देव: | विहंगमश्रायमाश्वयभूतो निखिल-
भुवनतलूरत्नमिति झत्वा देवपादमृूल्मागताइमिच्छामि देवद्र्शनसुखमनु-
भवितुमिति | (काद० ८ )
५ है &>
« आयु: कम च वित्त च विद्या निधनमेव च।
पञ्चेतान्यपि खज्यन्ते गर्भस्थस्येव देहिनः ॥ ( हितो० १ )
45 शो
. रहस्यभेदो याच्जा न नेष्ठुय॑ चलचित्तता ।
क्रोधो निःसत्यता बूतमेतन्मित्रस्य दूषणम् ॥| ( हितो० १ )
« अदेयमासीलयमेव भूपते: शशिप्रभम छत्रमुसे च चामरे। ( रघु० ३१६ ):
« निरगभिन्नास्पदसेकसंस्थमस्मिन््द्यं श्रीश्च सरध्वती च। ( रघु० ६२६ ) .
, व्यतिकरितदिगिन्ता: इ्वेतमानेर्यशोमि:
सुकृतविलसितानां स्थानमूजस्वलानाम् |
अकलितमहिमानः क्तने मंगलानां
कथमपि भ्रुवनेडस्मिस्ताहशा: संभवन्ति ॥ ( माल्ती० २ )*
संस्कृत में अनुवाद कीजिए ३---
वंग के राजा ने बुद्ध में प्राण त्याग दिये |
, लव उस रही ने वह भयंकर दृश्य देखा तो उसके हाथ-पेर कापने छगे ।
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