आपस्तम्ब - धर्मसूत्र | Apastamba Dharama Sutra

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Apastamba Dharama Sutra by डॉ. उमेशचन्द्र पाण्डेय - Dr. Umeshchandra Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१८) २. धर्मसूत्रों में कभी-कभी अपने चरण तथा अपने वेद के उद्धरण विशेषतः दिये गये हैं । ं ३. प्राचीन घर्मसूत्रों के रचयितारओं को ऋषियों का ओहदा प्राप्त नहीं है भर न वे अपने को मानवीय धरातल से ऊपर उठे हुए अलौकिक चताते हैं, इसके विपरीत मनु और याज्ञवरुक्य जेसे रखतिकारों को मानव से ऊपर देवी दाक्ति से संपन्न दर्शाया गया है । ४. 'घ्मंसूत्र प्रायः गद्य में हैं या कहीं-कहीं मिश्रित राद्य और पद्य में हैं,- किन्तु स्टतियाँ श्कोकों में या पथदद्ध हैं । ५. भापा की दृष्टि से घमंसून्न स्खतियों के पहले के हैं, और स्उतियों की भाषा भपेक्षाकत भर्वाचीन है । ६. चिपयवस्तु के विन्यास की दृष्टि से सी उनमें मेद हैं । धर्मसूत्रों में चिपय की च्यवस्था, क्रम या तारतम्य का बजुसरण नहीं करती, किन्तु रसतियाँ अधिक व्यवस्थित भोर सुगठित हैं, उनमें विपयवस्तु सुख्यतः तीन छीर्पकों में सिभक्त हूँ--जाचार, व्यवहार और प्रायश्चित्त । ७. बहुत बद्ी संख्या में घर्मंसूत्र अधिकतस स्सतियों से प्राचीन हैं। .




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