हिन्दी साहित्य का इतिहास | Hindi Sahitya Ka Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
259
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द्विन्दी साद्दित्व या इनिद्मामत 1२
आदविर्भाव सदसे प्रधान साहित्यिक घटना दे 17 देगी के द्राधार पर उर्दनिल्ष्स
गय-राद नाम दिया है। टिन्दी छा प्राचीन साहित्य सुस्य रूप से जाईपन्या टस्म
था। इस शाब्य में सुक्तक और >न््ध दोनों शलियों का पियान डुष्आ। छापु-
नि युग में यद्रपि द्विग्दी वाध्य में भी अनेझ शेलियों (द्यवाद, राह्ययाड,
अगत्तिबाद, प्रयोगवाद, प्रदीप सास छा, सिन््तु इस युग छी «भाग
पिशेपना गद्य साहित्य वा शमूतपुवर विकास दूं । उपस्यास, चाट, कमी, निरन््ध,
आतोचनसा, उपयोगी खाद्वित्म--दन सभी रणे छा आविर्भाय और उनहों पृष्धि
आधुनिक युग में दी हुई । झाचायें शुक्ा दिस्दी के श्रापुनिक इमिहास मो दीन
आगों में बॉटल ई
प्रथम -त्थाग--म० १६२४५ से १६१०
द्वितीय उत्थान--रं० १६४० से १६७४६
तृतीय उत्घान--सं० १६७४ स श्र तक
शुक्ल जी द्वारा निरूषित '्राधुनिक बाब्य केलीन एस्पा्नों यो दृष् रोग
+भारतेग्हु
शुगा, पुनास्थान-्थुग! श्ीर विद्ोड यूगों कट्ठना ३
निषप्कर्प--उपशु कस विवेचन के. उपराम्त, दम निष्यर्ष रुप में यद खगसे
हू क्लि फाल-विभाजन सम्बन्धी प्र प्य स्गमग्री के श्लाधार पर आयाय शुप्द छी को
चआारणायें विशेष मद्ृत्यपूरो ै। दा« नग्रेद के झुस्यों में रात मिभाश्न
सम्पस्धी उपलब्ध सामग्री के उचित परीक्षण के उपराम्त श्ाज़ पं शुक्ल डारा
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ओर पास्तय में सर्दथा निर्देष नहोंओे हुए भी बहुत छठ संगत ऋऔर बियेग-
है
प्रश्न ३--ब्री रगाथाकाल धरतियों पर प्रय्श टालते हुए
उनकी विश्वपताएँ बतलाइए 1
दिन्दी साहित्य में गौरगाया पास प्रागम्मझ परत । इस रमाए
डी रऐ थे परादितु वा दंगा
झुझामान लोग फेर झाम्मणरारी ई
1 दिप
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