प्राकृत प्रबोध | Prakrta prabodh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
302
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री - Dr. Nemichandra Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्छु प्राकृत-प्रवोध
स्लीलिड़् इमी, इमा ( इृदस )--यह
एक्वंइेन बहुबचन
प०. इसी, इमा इमाओ, इमीओ
वी० इमि, इम॑ इसीओ, इमाओ
त० इमीअ, इमाए इमीहि, इमाहि
च० इमीअ, इमाअ इमीण, इमाणु-णं
पं०. इमीअ, इमाओ, इमत्तो इमाहिंतो, इमासुंतो
छ०. इमीए, इमीअ इमीण, इमाखं
स० इमीए, इमाए इमीपु, इमासु
ख्नीलिड्र अमु ( अद्स )--वह, अम्रुक
एकव्चन बहुवचन
प० अमू अमूओ
वी० अमर अमूओ
त० अमूए मृहि-हि्
च० अमूए अमृण
पं० अभूण, अमुत्तो अमूहिंतो, अमूसुंतो
छ० अमूए, अमूअ अमृण णं
स० अमूए, अमूअ अमूसु
नपुंसकलिज्ग त ( तदू )--वह
एकवबचन बहुदचन
प० ते ताईं, ताणि
बवी० ते ताईं, वाणि
शेष शब्द्रूप पुछिड्ग के समान होते हैं ।
नपुंसऊलिड्न ज ( यदू )-जो
एकवचन बहुवचन
प० जं जाईं, जाणि
बी० जे जाई, जाणि
शेष शब्दरूप पु छिन्ल के समान होते हैं ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...