प्राचीन मुद्रा | Prachin Mudra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.66 MB
कुल पष्ठ :
604
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राखालदास वंद्योपाध्याय - Rakhaldas Vandyopadhyay
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(७) सुनलमानों ने केयर मुगलों के समय में सिक्कों पर कविता- खद्ध लेख रग्वयाए थे 1 खिको को चिशेषता्ष के ये थोडे से उदादर्ण ही हमने यदद वतलाने के लिये दिप हे कि जो चातें शिलालेयों ादि में नहीं मिलती उनरी घहुत कुछ पूर्ति सिददे कर देते हूं । थे सिक्के श्वेक गाजवशों फे जैसे आक शक पार्यिझन कुशन चामप यु छाुनायन श्रौदुघर दुनिंय मालव नाए राजन्य यौचेय झाध्र हण गुहिल चौद्यन कलचुरि ( हैहय ) चदेल तोमर गाहटवाल सोलगी यादव पा कद श्रादि के तथा कश्मोर के सिज मिन्न चशों फॉगडे नेपाल श्रासाम मणिपुर झादि के भिप भिक्न राजाओं तथा अयोध्या उज़ेन फौशाबी तदषशिला मथुरा शरिलुचपुर उ्यादि नगरों पे राजाओं के पय म यमिका शादि नगसें के िलते है जो इतिहास के लिये परम उपयोगी ह 1 रुमे यह भी बतलाना पश्यर है फि हमारे पहाँ के राजा सपने सिक्कों के सपध में विशेष ध्यान नहीं देते थे। युसो के सोने के शिद तो पड़े सुदग दें परतु जय उन्होंने पश्चिमी सवरपों का विस्तोर्प सन्य झपने राज्य में बिता या तय से चॉदी के सिंफे को तरफ इन्होंने वहुप कम दृष्टि दी श्र क्षनपों के खिकी के पद तरफ वा चेहरा ज्यों का त्यो चदा रहने दिया श्मौर दूसरी दरफ झापना ऐोस धकित कराया । इसी तरह जय इण तोरमाणं ईरान का खजाना लुटफर यहाँ के सिछे हिंदु-
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