श्री प्रकरण रत्नाकर भाग 3 | Shri Prakaran Ratnakar Bhag 3

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Book Image : श्री प्रकरण रत्नाकर भाग 3  - Shri Prakaran Ratnakar Bhag 3

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रवचनरारों धार. हृण कसासा, तिन्नि सया तेसही, पासंभिणध्यपसाया ४४ नरद्यादि वा हलदूरा, पड़िवापु वेवरायाणा, रगणा३ चलदस नव, निह्ल तह जीव संखारं ४० फम्मा३ अचछ्तेति, तत्तर पथडीए शअध्वन्न सं, बंधोद्याणुदीरण, सत्ताशय कि पिछु सरूब ॥ ४ए कम्मठिई साबाहा वायाजलीसाय पुन्न पयडीउ, बासी३ पाव प यमी उंनाव वक्षस पमिनेय ॥ ५० ॥ जीवाए अजीवाणय, गृुणाण तह भग्ग णाएण पत्तेयें, चलदसग लवञ॑ंगा, वारस जोगाय पन्नरत ॥ ५१ ॥ परलोअगई उु णग,णसु तहताण काल परिमाण , नरय तिरि नर सुराण, लक्कोस विख्वणाका जो ४ शा सत्तसमुग्घाया उप्पक्नत्तित॑ श्रणदारया चचरो, सत्तनयछाणा३, उल़ासा अप्यसब्या3 ॥ ५३ ॥ नगागिद्वियाण, ख्र्वरस पावगण गाइपि, मुणि गुण स त्ावीसा, इगवीसता सावव गुणाण ५४ तेरिह्वीणुक्रिण, गप्नधिछ तहय सामणुस्सी ण, गप्नस्सय काय ठि$ गप्॒विई जीव आहारो ॥ ०५ ॥ रिहु रुदिर सुक्ष जोए, तेतिज कालेण गपन सनूई, जेति अपत्ता गछ्ले, जेति अ पिश्लयरोअ पुत्तर्त ॥५६॥ महिला गप़ अजोगा, जेत्ति अर कालेण अबीअछ पुरिसो, सुक्काएण सरीरछिया णासद्याण परिमाण ॥प१०॥ समत्ता३ णुत्तम, गुणाणलाहत रज मुक्कोस, न लद॒ति मा एु सत्त, सत्ता जेणत रुचद्ठा ॥५७॥ पुब्वंग परीमाण, साए पुब्स्स लवण सिहुमाण, सउससेह आय अग्रुत, प्राण अंग पमाणाई ॥ पएए॥ त्तम कायसरूवमण,- तबकग अछ्ग निमित्ताण, माणुम्माए पमाण, अछरस नरक नोझाई ॥ ८० ॥ ग्छाण बुड्डिदाणी, अवदूरि3 जाइ नेव तीरति, अतर दीवा जीवा, जीवाण शअप्प बहुअंच ॥ ६१ ॥ संखानिस्सेस झ्॒ग,-प्पह्मण सूरीण वीर जिणतितले , लस्स पिएि अंतिमजिण, तिद्न प्रविज्लेय साएच ॥ ६३॥ देवाएप्प वियारो, सरूव मे उएह कएहराएण , सक्कायस्स अकरण, नदीसर दीव ठि६ नवएण ॥ ६३ ॥ लद्दी3 तब पाया,्त कक्षतत आदारगस्स रूवच , ऐसा शणारिया श्आा,- रिया य सिश्चु ग तीस गुणा ॥६४ ॥ समय समुरिवाण, थासत्यथ समत्तिमेसि दाराण, नामुकितत एण पुव्ा, तंपिसिय विद्यारणा नेआ ॥ द५ ॥ अर्थ -आ प्रथमा आरनथी अत पर्यत बबा धारोना नावनो उद्धार सिद्धातो साथी कखो के ते उपर कहेना धारोना नामोत्कीसन पूर्वक तेमा विषयविपे पण विचारणा जाएवी ॥ ८५ ॥ एवो रीते सर्व धारोना नाम कद्या पठी अनुक्रमे धारवखाणर्ता प्रथम चैत्यव दन धारनु वशतर करे ले - जा भय उपर सस्कत जनायामा टोका कर्ताए झाख्रां |




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