संगीत रत्न प्रकाश भाग 5 | Sangeet Ratn Prakash Bhag 5

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
371
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के
।, ,महाश्यवर:! परम पिता, परमात्मा को घन्यवादों।
परचात् आप से सज्जनों को भी।धन्यवाद हैं कि#'समीत रत्न
प्रकाश! जैमी तुच्छ, पुस्तक का आपने, डम्मीदु से बढ़कर मान
किया, यह आप सर्व महानुभावों के सह अददण करने का दी
0
कारण है कि मे इस पुम्तक का छगभग् दो लाख फे जाय जगत
1 5 ८ ॥1 दि
में फैला चुका है। ४ -« * 2०
न छ ् ल् है... होल
हर ५ हज $ ६ | $
इस के पश्चात् में सपने परम मित्र' कु ० कंण!पिंदजी कावे
स्थान चहडोली प्रान्च अलीगढ़ को धन्यवाद देता हूँ - कि जिन््हों
ने मेरे ऊपर ही नहीं किन्तु समस्त जास्ये-जगतू के ऊपर कृपा
कर और महानू कष्ट उठाकर कई मास के छगाठार परिश्रम से
“संगीत-रत्न-प्रछाश” के पाचों भागों से उन सब दोपों,का दूर
कर दिया है कि जो उन्द् अष्टता आादे के इन पर लगाये जाते
थे, यददी नहीं किन्तु अधिकतर मामूली और पुरामे भजनें को
'निकार करनये २ ंड़े:हीः उत्तम २ भजन जआादि को उनकी
[जगह दन करके इसकी शोमा को और मी बढ़ा दिया है।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...