बादलों के पार | Badalon Ke Paar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पह जी एक छेस है डा
दिकूपा--माशब धूमि को या छूर्म्द ?
अपदेब--मुझे तहीं माल मूमि को ।
दिल्लपा-लेडित उसे ठो तुमसे झजुता है मालव मूमि से गही ।
कऋपदेब--बह मेरे प्रपराघ का दष्ड माल भूमि को देमा चाहता है।
विज्षपा--मालव मूमि को या मासगन्यण को ?
क्षयरेष--जब विददेक्षी शासन हमारे देश पर होपा ठथ बा कोई चाहति
परापषीमता कै बच्च सकेगी ?
बिशपा--गिदेशी सासत मालब-मूमि पर।
अमरैष--हाँ चित सकों बे पिथ प्रोर सौराष्ट्र पर श्रधिकार कर प्तिमा है,
उर्हूँ श्रीपाल से माश्षषा पर प्राक्ममण करने को प्रामीजत किसा है ।
बिडरमा--धुम थोर्मों का बंद्ामिमात प्पते ही देख में देस के धत्रु उत्पस्त
कर रहा है। तुमने भीपास का प्रपमात किया है भौर निराक्षा बसे छू के पाप
रींच से पई है ।
छपग्रेब--थिस बाठि से छदा माए्त का प्रंब-रक्षक बतकर प्राततामियाँ
को देश में भाने छै रोका है जिछते सिकर्दर महाल् को निश्कविजवी यूलाती
पैसा को हजारों प्रा्ों कौ शाबी शयाकर बापस सौट थाने को भाघ्य किया एसे
क्यों ते प्रपने ऊपर बे हो ? उसे प्रपमी धंसिकता एवं बश-मिक्रम पर प्रमि-
भात क्यों भ हो !
जिजपा--किम्तु थो जाति सेतिक मह्ठी है, कमा बह मनुष्य ही गहीं है
कार्य-थिमाजत नौच-ऊेंच की दौवारें क्यों छड़ी करे?
अपरेब--सह इन बाठों पर विचार करने का समय गहीं है।
जिजवा--रेप के पास इत बातों पर गिचार करमे का छमस नहीं है हो
एक के आद दूसरा भीपासत इस देश में लम्म सेवा । तुम एक प्रीपास का मस्तक
सेकर देश कौ रप्ता बहीं कर छकोपे ।
शयदेष--सू प्रीपास झौर देश दो में से किऐे चुढेपी !
विजपा--धुम देश भौर मासबठा दोसों में पे किसे चुनोये ?
अपैेध--पराजीतता मालगठा का सबसे बड़ा पतत है ।
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