करुणा की कहानियाँ | Karuna Ki Kahaniyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बुद्ध २५
सारथि ने कहा--“महाराजवुमार, यह एक मृत मनुष्य की
अर्थी है।”
' तो फिर मेरा रथ उसके निकट ले चला ।” राजकुमार ने
कहा ।
सारथि आतानुसार र॒य उधर ले गया। मुर्दे को पास से
देखकर राजदुमार न पूछा--' सारथि, मृत का अथ क्या होता
हक
सारधि वाला--“मृत का अथ यह होता हैं हि अब यह
मनुष्य अपने माता पिता ओर रिश्ते नात॑वालो की दिखाई नहीं
देगा । न वही विसीकोी देख पाएगा ।”
राजवुमार--तो क्या मेरी भी यही गति होगी ? क्या मैं
मो राजा रानी, सगे सम्बाघधिया को नहीं दिखाई दूगा और मैं
उह नही देख सकूगा ?
सारथि न वहा--'नही महाराज ! यही तो मौत है । यह
सभीके लिए एक सी है ) अन्त में सभीकी यही गति होनेवाली
है 1”
“ता फिर बजवे उद्यान में नही चलता है सारथि--रथ अन्त -
पुर को वापस ले चलो ।”
सारथि ने रथ वापस मोड लिया और महाराजकुमार का
अन्त पुर वापस ले गया । महाराजवुमार वहा बडी ही शावपूण
मवस्या में देर तक बेचन पड रहे और बन्तत उहामे कहा--
“इस जम भौर जीवन को धिक्ार है जिससे मनुष्य बुढपा,
व्याधि और मौत को प्राप्त द्वोता है।”
जब राजा शुदोदन ने पहरे ही को तरह इस बार राज-
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