अमरलता | Amaralata

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Amaralata by शम्भूदयाल सक्सेना - Shambhudayal Saxena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अमरलता ] रु सूर्य था बह भादीछल का, विरव विश्वुत' ल्‍ृप पृूगल का, उचित सादूल लाम पाकर, सिंह सम आज़ अतुल रखकर, शूर थोद्धाओ को पशकर जय-भ्री वरता था घर घर | ३६ सन्‍ल शल्लास वर्मे *-सब्ित बीर भावों भें विनिर्माज्ञतों, निकलवा अश्वारुढ' जहां, धरा धँंसती थी बही-यही । ग्ेशु' उसके अताप-रवि से, चमऊती थी अतुलित छवि से । ४२ $ बुनियाँ में मशहर । २ झवचा1. 8 मान1। ४ घोड़े पर ख़बार। » रज्ाा। |




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