सोहन काव्य - कथा मंजरी भाग - 6 | Solan Kavya - Katha Manjari Bhag - 6
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ऐसा कौन है बली जगत में श्राप नाम फरमाय-नाथ जी-
मेरी नजर में कभी न आ्राया देखने को चित्त चाय ॥ काल०॥ ११॥
काल स्वामी का दूत श्वेतकच', दे रहा यों श्रावाज-राणी जी-
चेत चेत ओ चेत चतुर नर सुधर जायगा काज ॥ काल०॥ ११॥
स्वामी आये बाद तुम्हारा, नहीं तन पर अधिकार-राणी जी-
धरा, धाम, धन सभी छीन ले नंगा काढ़े बार॥ काल०॥ १२॥
श्रत: दान कर ईश भजन की, पूजी ले लो लार-राणी जी-
जहां जावेंगे यही सम्पति सुख देगी हर बार ॥ काल०॥ १३॥
सुनकर समझ गई महाराणी, काल शतज्र् बलवान-सज्जनों-
सत्य नाथ फरमान आपका सदा भ्जें भगवान ।॥। काल०॥।| १४॥।
प्राज्ञ' प्रसादे 'सोहन' मुनि कहे, सदा रहो हुशियार-सज्जनों-
आलस तज कर कर्म काट लो काल जायगा हार॥ काल०॥ १५॥।
दो हजार इकतीस जेठ बुद, दशक्षमी है गुरुवार-सज्जनों-
अजमेर शहर में जोड़ बनाकर कर लीनी तैयार ॥ काल०॥ १६ ॥।
१. सफेद केश
हरे
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