उपनिषद-प्रकाश | Upnishad Prakash

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Upnishad Prakash by अवधबिहारी लाल चांदापुरी - Avadhbihari Lal Chandapuriस्वामी दर्शनानन्द सरस्वती Swami Darshananand Sarswti

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स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती Swami Darshananand Sarswti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आवश्यक निवेदन +<5#9# ४2% *७- श्रीमन्पहषि स्थमी दयानन्द सरस्त्रती महाराज ने अपने लोक-प्रसिद्ध ग्रथ, सत्पायप्रकाश में केवल्ल दस उपनिषदों को ऋषि प्रणीत माना दे अथरति ईश, कन, कठ प्रश्न, मुण्डक, साणइफ्य, ऐतनय, तैतिगीय क्ान्दोग्य ओर बृडदारणप्क । जिनमे से भारम्भ के छ उप नषदों का हिन्दी भछुवाद पाठकों +सुख है । यह ग्रथ शरोल्वामीजी महाराज के सुयाग्य शिष्य ओर आख्य-ममाज के जाज्वल्यमान रत्न, पसलोक प्रश्प श्रसस्‍्व/मी दर्शना #* खःस्वन कृत उदू उ५निपर््‌ प्रशाश का हिन्ता-भनुवाद ६ | उप नषद-प्रकाश का दू-जर में बड़ा नान ढ़ और झ+ तक उसकी अन- श्र वनलियाँ निश्ल चुकी है, इस उपयोगी य थ की इन्दो-जगत्‌ में भा बड़ी भा थी, जिसका वैदिक भाग्य पुस्तकालर, बरली क श्रन्यच्ध प्रद्ाशय श्य मलाल वर्मा ने पूरा कर दिया । इसके अनुवादक श्रीयुत मास्टर भववबिहारीलाल है। यह ग्रन्थ ही भापकी योग्यता का ज्ल्लत प्रमाण है । सयोग वश इस ग्रयक्‌ सशोधन का सोभाग्य मुझे ग्रन्‍प्त हुआ । यह ग्रथ मेरे सम्कृत-भाषा-सशोचन के प्रथम प्रयास का फल ध-प दे | इस कारण मुझे आशका है कि इस ग्रव॒में मुझसे झन» त्रु 271 रह गई हो, जिनके लिये विद्वान पाठक मुके क्षमा प्रदाव करेंगे। में प्रथा क महाश॒ुत्र श्यामलाल चप्ा को इसका धन्यवाद दत ० कि उन्होने ऐ५ कठिन कार्य के लिय मुझे उन्याड्िति किया । और में अपने परमप्रि1 एवं सुचतुर मैनेशर 3५ आ 'न्‌ बाबू चन्द्रमों नदयालजी को अनकश धन्यवाद देता हूँ




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