मुख्यतत्त्वचिन्तामणि | Mukhya Tattv Chintamani

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Mukhya Tattv Chintamani by श्री शुक्लचन्द्र जी महाराज - Shree Shuklchandra Ji Maharaj

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री शुक्लचन्द्र जी महाराज - Shree Shuklchandra Ji Maharaj

Add Infomation AboutShree Shuklchandra Ji Maharaj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
नवतत्तप वर्णन १६ जैसे-पुण्य, पाप, आश्रव, वन्घ, यह चार रूपी हैं । जीव, सपर, निजेरा, मोक्ष यह चार अरूपी हैं । अजीब रूपी, अरूपी दोनों प्रकार का द्वोदा है । १. जीवतत्त्व जीय किसे कहते हैं ? पुण्य पाप का करता, सुस दु स्त का ओक्ता, चेतना लक्षण सहित प्राणों का धरता, अगिनाशी इब्यादि लक्षणों वाले को जीव कहते है। जीव का जघन्य एक भेद चेतना लक्षण, मध्यम १४७ ( चौदर ) भेद, उत्कृष्ट ५६३ भेद हैं। मध्यम चौंदह भेद इस प्रकार है-- जीय का ३ भेद-चेतना लक्षण । जीव के २ भेद-१ त्रस २ स्थायर । जीव के ३ भेद-१ स्त्री वेद २ पुरुष बेद ३ नपु- सक वेद । जीव के ४ भेद-१ नारकी २ तियंत्र ३ मनुष्य ४ देवता। जीय के ५ भेद-पाचों जातियॉ-१ एकेन्द्रिय २ हीन्द्रिय 3 न्नीन्द्रिय 9 चतुरिन्द्रिय ५ पचेन्द्रिय । जीव के ६ भेद-१ पृथ्वी २ अपू हे तेड ४ चायु « चनस्पति, ६ श्रसकाय । जीव के ७ भेद-१ नारकीय २ देव रे देवी ४ मनुष्य : ७ सानुपी ६ तियेग्‌ ७ तियंत्वी ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now