गणितीय कोष | Gannitiya Kosh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
77 MB
कुल पष्ठ :
696
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६७ )
(2५8 वग (जो प्रचलित है)
3८/४८६ श्रेणी (जो प्रचलित है)
खीप14ए सरणी
1211४ ब्यूह
इस प्रकार “श्रेणी! शब्द केवछ एक ही अर्थ में छिया जायगा और
आ्रान्ति की सभ्भावना बिल्कुछ नहीं रहेगी । इसी प्रकार बहुत से छाब्दों
का हम केवल एक ही अथ्थ में प्रयोग कर सकते हैं. । परन्तु यह सब
दशाओं में सम्भव नहीं हैं। कुछ शब्द जो रूढ हो गए हैं, उन्हें हटाना
वांछनीय नहीं है। 'सम' का शब्द कई अर्थों में प्रचलित हो चुका है:---
(१) सम न्+ बराबर
समभुजीय न्न जिव्पाधाट]
समकौणिक ++ >ितुपा-बाएपा4४
समता न जितुपथतए
(२) सम न १८४०४४४ ( समभ्ुजीय और
समकोीणिक )
सम बहुसुज 1 शिट्टपांबा एछ0ए2का
(३) सम न चोरस
समतर बन जि॥168, छॉ0९6 500
समतल भूमि ** चौरस भूमि
विषमतल न +0पघष्ठों) 50४५८८, रुक्ष भूमि
(४) सम 5 पगराफतिश (८0088॥6])
सम गतिदृद्धि न. 010 2८८षा21१४09
(५) सम न फरा0णफ (617 फाकिए
1742८7%४ )
सम छड़ न 7171909179 ४00
(६) सम न्न्एक
दर
User Reviews
No Reviews | Add Yours...