उर्दू - हिंदी कोश | Urdu - Hindi kosh
श्रेणी : उर्दू / Urdu, भाषा / Language
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
48.18 MB
कुल पष्ठ :
524
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
कमला कान्त वर्मा - Kamala Kant Varma
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केदार नाथ भट्ट - Kedar Nath Bhatt
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घ्फसाना-ख्वा अफसाना-गों कहानी गठप दास्तान किस्सा (२) हाल चर्चा ज़िक्र । प्रफूसाना-ख्वा घफसाना-गो--(फ़ा०) ( सं० पु० ) कहानी कहने वाला । घफखुदगी--(फ्रा०) ( संग स्त्री ) तबीयत का मुरभक्का जाना उदासी खिन्नता । घ्फ़्सुर्दा--(फ़ा०) (वि०) उदास खिल | घ्फसदा-खातिर (फ़ा०) (वि०.) उदास खिन्न-सन रंजीदा अफ़्स--(फ़ा०) (संग पु० ) (१9) टोना जादू मंत्र ( २ ) तंत्र | ध्रफसू-सोज़--(फ़ा०) ( वि० ) जादूगर तौत्रिक | घ्रफसास--(फ़ा०) ( सं० पु० ) (१) शोक रंज दुःख ( २ ) पश्चात्ताप खेद । ब्फित --(व्०) (वि०) बदुबू-दार बोसी दा सा हुमा | घफोफ--(गन) (वि०) नेक चलन सदा- चारी सचरित्र । बफ़ो फा--(श्र०) ( सं० स्त्री० । नेक स्त्री साध्वी | ध्रफू नव) ( सं० पु० ) क्षमा माफी दुरगुज़र बशिश | घ्फनत--श्र०) ( सं० स्त्री० ) सढ़ाँद दुग थ बदबू । ब-र्गदि०) ( संग पु० ) बाप । ( जद के साथ मिलाकर व्यवहहत होता है ) श्रबख़िरा--( श्र० ) ( सं० पु० ) बुख़ा- रात भाप । ( बुख़ार का बहुबचन ) झबख़िरे दिमारा को चढ़ना--दिमारा में गरमी का असर होना बावला दो जाना घ्रबजद--(दि०) ( सं० ख््री० ) देखो-- अब्जद | सबतर--श्र०) (विणे ( १) परेशान तित्तर-बित्तर जषस्त-व्यस्त (२ ) ज़राब रदी ( ३ ) जावारा बद्-अलस बदसागा | १6 घाफास्दा दिल-- ं कक के सनम लविवतनननिविकविववि कि वि | ्बलह-फरेव झवतरी--(फ़ा०) ( संग ख्री ) (१9) बदु-चलनी बदमाशी ( २ ) झ-प्जन्थ ऋ्ञव्यदस्था ( १ ) खराबी बरबादी | ध्ाद द-(खग) ( सं० सती ) (9 ) अनन्त काल हमेशा अवल्तता ( र ) क्यामत का दिल | व दन--श्र०) (क्रि०्वि०) सदा इमेशा घवदी-पकऋि०) ( बि० ) अमर स्थामी दायमी अविनाश | ड्ाबदी बत--श्र०) ( सं० खी० ) इमेशगी सदा बता रइया इवयात-(श्र०) ( तं० पुर ) (१ ) बर (२) शेर। बित का बहुतचग | सझश्र--(श्र०्) ( जं पुन) देखा-कभ | रयरब--(फ़रा०) ( सं० ख्री० ) कअजअक इक प्रकार का खनिज पदाथ निससें अं नेक परत होते हैं । अबरस--( श्र० ) ( पं पुन ) कोढ़ी शिसके शरीर पर सकेद दारा हों । झवरा--(फ़ा०) (सं० जु०) दोइरे कपड़े की पर बाजी ते रूईदार कपडे को उपर बाली तह । अझवराज--(क०) ( सं० पु० ). प्रकट करमा मेद कोलजना राज खोजना | अ्वरार--(श्र०) ( सं० पु० ) परदेखुरतर खोग धल-सीरु खंभली । शबरी-(फ़ा०) (सं० स्त्री ) एक प्रकार का रंग-बिरंगा काराल जिसे किताबों की जिर्द बर खाते हैं । इवरेशस--(फ़ार्)त ( संपुर ) (9) कक रेस ( २ ) रेशल का कोया | उबव्क--(झ) (वि०) दो रंसा स्वाह- सक्ेद | ( सं० पु० )--दो रंग का थोड़ा स्माइ-सफेद घोड़ा | अ्बलझह--(फ़ा०) ( वि० ) मूखें मोला- भाला बेवक़फ । व ज इ-फरेव--(फ़ा०) ( वि० ) सक्कार जात-ख्राज़ ।
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